आम्र बौर का गीत कविता का सारांश
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जो मुझे बार-बार चरम सुख के क्षणों में भी अभिभूत कर लेती है। अपनी बाँसुरी में मेरा नाम भर कर तुम बुलाते हो! पर जानते हो तुम्हारे अनजान में ही तुम्हारी उँगलियाँ क्या कर रही थीं! श्यामल वनघासों में बिछी उस माँग-सी उजली पगडण्डी पर बिखेर रही थीं |
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