आनंद-दाता कौन हैं बे हमें क्या देते है
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हे प्रभो ! आनन्द दाता ज्ञान हमको दीजिए जैसी पंक्ति लिखने वाले रामनरेश त्रिपाठी की कविताएं...

रत्नेश मिश्र

Kavya Charcha
रामनरेश त्रिपाठी का जन्म जौनपुर जिले के कोइरीपुर ग्राम में हुआ था। प्रारंभिक शिक्षा जौनपुर में ही हुई। इन्होंने कविता के अलावा उपन्यास, नाटक, आलोचना, हिंदी साहित्य का संक्षिप्त इतिहास तथा बालोपयोगी पुस्तकें लिखीं और 'कविता कौमुदी (आठ भाग में), हिंदी, उर्दू, संस्कृत, बंगला की कविताएं तथा 'ग्राम्य गीत (कविता संकलन) संपादित और प्रकाशित किए। इनकी मुख्य काव्य-कृतियां हैं- 'मिलन, 'पथिक, 'स्वप्न तथा 'मानसी। 'स्वप्न पर इन्हें हिंदुस्तान अकादमी का पुरस्कार मिला। ये प्राक्छायावादी युग के महत्वपूर्ण कवि हैं जिन्होंने राष्ट्रप्रेम की कविताएं भी लिखीं।
मन-मोहिनी प्रकृति की गोद में जो बसा है।
सुख-स्वर्ग-सा जहाँ है वह देश कौन-सा है?
जिसका चरण निरंतर रतनेश धो रहा है।
जिसका मुकुट हिमालय वह देश कौन-सा है?
नदियाँ जहाँ सुधा की धारा बहा रही हैं।
सींचा हुआ सलोना वह देश कौन-सा है?
जिसके बड़े रसीले फल, कंद, नाज, मेवे।
सब अंग में सजे हैं, वह देश कौन-सा है?
जिसमें सुगंध वाले सुंदर प्रसून प्यारे।
दिन रात हँस रहे है वह देश कौन-सा है?
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मैदान, गिरि, वनों में हरियालियाँ लहकती।
आनंदमय जहाँ है वह देश कौन-सा है?
जिसकी अनंत धन से धरती भरी पड़ी है।
संसार का शिरोमणि वह देश कौन-सा है?
सब से प्रथम जगत में जो सभ्य था यशस्वी।
जगदीश का दुलारा वह देश कौन-सा है?
पृथ्वी-निवासियों को जिसने प्रथम जगाया।
शिक्षित किया सुधारा वह देश कौन-सा है?
जिसमें हुए अलौकिक तत्वज्ञ ब्रह्मज्ञानी।
गौतम, कपिल, पतंजलि, वह देश कौन-सा है?
छोड़ा स्वराज तृणवत आदेश से पिता के।
वह राम थे जहाँ पर वह देश कौन-सा है?
निस्वार्थ शुद्ध प्रेमी भाई भले जहाँ थे।
लक्ष्मण-भरत सरीखे वह देश कौन-सा है?
देवी पतिव्रता श्री सीता जहाँ हुईं थीं।
माता पिता जगत का वह देश कौन-सा है?
आदर्श नर जहाँ पर थे बालब्रह्मचारी।
हनुमान, भीष्म, शंकर, वह देश कौन-सा है?
विद्वान, वीर, योगी, गुरु राजनीतिकों के।
श्रीकृष्ण थे जहाँ पर वह देश कौन-सा है?
विजयी, बली जहाँ के बेजोड़ शूरमा थे।
गुरु द्रोण, भीम, अर्जुन वह देश कौन-सा है?
जिसमें दधीचि दानी हरिचंद कर्ण से थे।
सब लोक का हितैषी वह देश कौन-सा है?
बाल्मीकि, व्यास ऐसे जिसमें महान कवि थे।
श्रीकालिदास वाला वह देश कौन-सा है?
निष्पक्ष न्यायकारी जन जो पढ़े लिखे हैं।
वे सब बता सकेंगे वह देश कौन-सा है?
छत्तीस कोटि भाई सेवक सपूत जिसके।
भारत सिवाय दूजा वह देश कौन-सा है?
हे प्रभो ! आनन्द दाता ज्ञान हमको दीजिए...
हे प्रभो ! आनन्द दाता ज्ञान हमको दीजिए।
शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिए।
लीजिए हमको शरण में हम सदाचारी बनें।
ब्रह्मचारी धर्मरक्षक वीर व्रत-धारी बनें॥
प्रार्थना की उपर्युक्त चार पंक्तियाँ ही देश के कोने-कोने में गायी जाती हैं। लेकिन सच तो ये है कि माननीय त्रिपाठी जी ने इस प्रार्थना को छह पंक्तियों में लिखा था। जिसकी आगे की दो पंक्तियाँ इस प्रकार हैं-
गत हमारी आयु हो प्रभु! लोक के उपकार में
हाथ डालें हम कभी क्यों भूलकर अपकार में
1 YEAR AGO
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