आने वाले दिनों में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है इस नियंत्रित करने ले कोई ५ उपाय सोचो और लिखो
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इस बार हमने संवाद लेखन पर कार्य किया. पिछ्ली बार आपको कक्षा में एक कार्य दिया गया, टोलियों में आपको किसी भी विषय पर संवाद लिखने थे. आज हरेक टोली ने वह कार्य प्रस्तुत किया जिसपर हमने साथ मिलने विश्लेषण भी किया. कुछ महत्वपूर्ण बिन्दु सामने आए. जैसे कि संवाद लेखन, स्थिति, परिवेश, वातावरण, समय, संदर्भ आदि को ध्यान में रखते हुए लिखे जाने चाहिए. साथ ही, भाषा के प्रयोग तथा अन्य भाषिक पहलु भी इन सभी तत्वों के अनुकूल हों. शैली का भी ध्यान रखें. संवाद में मौलिकता, प्रवाहमयता व सहजता अनिवार्य है. पात्रों के वैचारिक संवाद में टकराहट हों, तो अच्छी बात है..
शब्द-चयन पर भी ज़ोर दें. शब्द का अपना संसार होता है, उसमें अर्थ हम प्रयोग के स्तर पर भरते हैं. उसमें अर्थगत वैविध्य लाने पर उसके महत्व को और अधि प्रगाढ़ बनाते जाते हैं. यह कुछ सैद्धांतिक बातें है जो पिछली बार आपको समझा दी गई थी. इस बार आप इस ज्ञान को व्यावहारिकता पर लाएँ.
कक्षा के दूसरे हिस्से में, मैंने आपके द्वारा पूछे गए भक्तिकाल संबंधी विषय पर एक विश्लेषणात्मक प्रस्तुतीकरण रखा. आशा है कि भक्तिकाल को और अधिक गहराई से आप समझ पाए..
आप से आग्रह है कि ऐसी कोई भी चिंता हों, तो अवश्य पूछें..
धन्यवाद.
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