आनलाईन कक्षाओ के बारे मे दो मित्रो की बातचीत संवाद रुप मे लिखो
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संवाद – ‘वाद’ मूल शब्द में ‘सम्’ उपसर्ग लगाने से ‘संवाद’ शब्द बना है, जिसका शाब्दिक अर्थ ‘बातचीत’ है। इसे वार्तालाप भी कहा जाता है। सामान्य रूप से दो लोगों के बीच होने वाली बातचीत को संवाद कहा जाता है।
दो लोगों में हुई बातचीत को लिखना संवाद-लेखन कहलाता है।
संवाद की विशेषता-संवाद में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए –
स्वाभाविकता-संवाद में स्वाभाविकता होनी चाहिए। पात्रों की अपनी स्थिति, संस्कार आदि को ध्यान में रखकर बोलना चाहिए।
पात्रानुकूल भाषा-संवाद में भाग ले रहे छात्रों की भाषा उनकी शिक्षा आयु आदि के अनुरूप होनी चाहिए। एक शिक्षित और
उसके साथ संवाद कर रहे अनपढ़ की भाषा में अंतर नज़र आना चाहिए।
प्रभावीशैली-संवाद को बोलने की शैली प्रभावशाली होनी चाहिए। सुनने वाले पर संवादों का असर होना चाहिए।
जटिलता से दूर-संवाद की भाषा में जटिलता नहीं होनी चाहिए। इससे सुनने वाला बात को आसानी से समझ सकता है और
यथोचित जवाब देता है।
शालीनता-संवाद की भाषा में शालीनता अवश्य होनी चाहिए। इसमें अशिष्ट भाषा के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
संवाद लेखन में ध्यान देने योग्य बातें – संवाद-लेखन में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए।
संवाद की भाषा सरल तथा सहज होनी चाहिए।
संवाद लेखन में सरल तथा छोटे-छोटे वाक्यों का प्रयोग करना चाहिए।
भाषा सुनने वाले के मानसिक स्तर के अनुरूप होनी चाहिए।
संवाद लेखन में किसी एक पात्र के कथन को बहुत लंबा नहीं खींचना चाहिए।
भाव विचारों की पुनरुक्ति से बचना चाहिए।
संवाद लेखन के अंत में एक बार पढ़कर उसे दोहरा लेना चाहिए ताकि अशुद्धियों का निराकरण किया जा सके।
संवाद लेखन के कुछ उदाहरण
प्रश्नः 1.
गाँव से कुछ दूरी पर रेलगाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हो गई है, दो मित्र वहाँ पीड़ितों की सहायता के लिए जाना चाहते हैं। उनके मध्य हुए संवाद का लेखन कीजिए।
उत्तरः
अक्षर – नमस्ते संजीव! घबराए हुए कहाँ से भागे आ रहे हो।
संजीव – नमस्ते अक्षर! तुमने सुना नहीं शायद, रेलगाड़ी के डिब्बे पटरी से उतर गए हैं।
अक्षर – क्या जान-माल की ज़्यादा क्षति हुई है?
संजीव – हाँ, दो डिब्बे पटरी से उतरकर आपस में टकरा गए हैं।
अक्षर – पर, अब तुम कहाँ जा रहे हो?
संजीव – मैं गाँववालों को खबर करने जा रहा हूँ।
अक्षर – मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूँ। मैं लोगों से कहूँगा कि यात्रियों के लिए कुछ आवश्यक सामान भी ले चलें।
संजीव – यह ठीक रहेगा।
अक्षर – मैं गोपी चाचा से कहता हूँ कि वे अपनी जीप से सबको ले चलें। उनकी जीप से घायलों को अस्पताल तक पहुँचाया जा सकता है।
संजीव – डॉ. रमेश अंकल को भी साथ ले चलना। वे घायलों की प्राथमिक चिकित्सा कर सकेंगे।
अक्षर – तुम्हारा यह सुझाव बहुत अच्छा है।
संजीव – चलो, सबको लेकर वहाँ जल्दी से पहुंचते हैं।
Explanation:
ऑनलाइन स्टडी अपनी सुविधा और आसान संचालन की प्रक्रिया से अधिक लोकप्रिय हो रहा है। इस निबंध में मैंनें ऑनलाइन अध्ययन से होने वाले लाभ और नुकसान के बारें में यहाँ विस्तार से बताया है।
लाभ
ऑनलाइन अध्ययन के तरीके से अध्ययन के कई फायदे है। यह बहुत सुविधाजनक है, इस सुविधा के उपयोग से आप अपने घर पर ही रहकर बातचीत कर सकते है। आप क्लासरूम की तरह यहाँ पर भी एक दुसरे से सवाल जबाब कर सकते है।
प्राकृतिक आपदा या आपातकाल की स्थिति में ऑनलाइन अध्ययन की प्रक्रिया का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता है। इस प्रक्रिया का सही उदाहरण हाल ही में फैली कोविड-19 महामारी है, जिसका प्रभाव सारी दुनियाँ में है और इसके प्रभाव से बचने के लिए सभी प्रयत्नशील है। इन दिनों कई स्कूल छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए ऑनलाइन अध्ययन की प्रक्रिया को अपना रहें है। वास्तव में ऑनलाइन अध्ययन की प्रक्रिया स्कूली शिक्षा के लिए एक सुरक्षित विकल्प है।
नुकसान
ऑनलाइन अध्ययन की प्रक्रिया में कई लाभों के अलावा कुछ नुकसान भी हमारें सामनें प्रस्तुत होते है। जिस तरह वास्तविक कक्षा में जो उत्साह का वातावरण होता है यहाँ उस वातावरण का अभाव होता है। एक जीवंत कक्षा या लाइव क्लास में जो आनंद का माहौल होता है, ऑनलाइन अध्ययन में उस माहौल की कमी होती है। यहाँ पर एक शिक्षक और छात्र एक दुसरे से केवल एक ही विषय को लेकर बातचीत और चर्चा कर सकते है।
इसके अलावा इसके कारण गैजेट का ओवर एक्सपोजर से स्वास्थ के कई खतरे जैसे कि सिरदर्द, आंखों का कमजोर होना और एकाग्रता में कमी आना इत्यादि का खतरा भी बढ़ जाता है।
निष्कर्ष
स्वास्थ सम्बन्धित इतने नुकसान के बाद भी इस अध्ययन प्रक्रिया का उपयोग विशिष्ट परिस्थितियों में बहुत ही फायदेमंद साबित हुआ है। जब कि आपका घर छोड़ना आपकी सुविधा और स्वास्थ के लिए हानिकारक है तो उस स्थिति में ऑनलाइन अध्ययन की प्रक्रिया आपके लिए एक वरदान साबित हो जाता है।