Hindi, asked by kiran1986yadav, 1 year ago

Aanuchad buri par aachi ki jeet

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Answered by sidra1784
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Hey mate here's your answer by
Sidrakauser ❤

शक्तिदायिनी माँ दुर्गा की आराधना के नौ दिन समाप्त हो गए हैं। आज इस आराधना का दसवाँ दिन है अर्थात्‌ बुराई पर अच्छाई की विजय का दिन। पता नहीं कितना वर्षों से काल का पहिया यूँ ही घूमता हुआ हर वर्ष यह दिन ले आता है, और हम इसे मात्र त्योहार के रूप में मनाकर भूल जाते हैं।


इस दिन जगह-जगह पर हम तीन पुतलों को आग के हवाले कर देते हैं और आशा करते हैं कि प्रतीक स्वरूप जला यह पुतला समाज में फैली सारी बुराईयाँ नष्ट कर देगा। देखा जाए तो यह विचार, यह वाक्य, यह सोच सभी कुछ आज के जमाने के हिसाब से आउट डेटेड है। जब भी साल दर साल यह चीजें छपती हैं, हर व्यक्ति का कहना होता है यह सब पुरानी बात है। लेकिन कोई नहीं सोचता कि जब इस विचार को पहली बार लिखा गया होगा तब तो यह नया था। तब क्यों हम सिर्फ पुतला जलाने भर तक सीमित रह गए? तब क्यों हमने तमाम बुराईयों को जड़ से मिटाने की कोशिश नहीं की? हर व्यक्ति यह जरूर महसूस करता है कि समाज में बहुत सी बुराईयाँ हैं, इन्हें मिटाने के लिए कुछ ठोस कदम उठाना होंगे।

केवल पुतले जलाने भर से कुछ नहीं होगा। फिर भले ही वे पुतले साल भर शहर की सड़क पर जलने वाले हो या साल में एक बार मैदान में जलने वाले। लेकिन मुख्य मुद्दा तो यहीं आकर ठहर जाता है। क्योंकि सिर्फ महसूस करने भर से कुछ नहीं होता यह सभी जानते हैं। बहरहाल यह बहस तो सदियों से चली आ रही और सदियों चलती रहेगी। आप शांति और प्रेम से दशहरा मनाइए। 

बस एक छोटी सी इल्तिजा है, रावण को जलता देख कर आप सिर्फ ताली पीटने वालों की जमात में शामिल मत हो जाइए। आप अपनी एक नीजि बुराई छोड़ने का संकल्प ले लीजिए। कोशिश कीजिए कि आप इस संकल्प पर अडिग रहेंगे। फिर देखिए रास्ते अपने आप बनते जाएँगे, क्योंकि किसी भी अच्छाई की शुरूआत खुद से हो तो वह अच्छाई स्थाई रहती है। आप सभी को दशहरे की बहुत-बहुत शुमकामनाएँ।

Hope it's helps you ✌✌✌

#Be brainly ❤❤
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