आओ पता करें
क परिच्छेद का वाचन प्रभावपूर्ण तथा सुस्पष्ट उच्चारण के साथ करवाएं।
शनिम्नलिखित परिच्छेद का प्रकटवाचन करके स्वयं समझने के लिए कहे।
हमारे मुख से उच्चरित शब्द हमारे चरित्र बुद्धिमत्ता, समझ और
संस्कारों का दर्शाते हैं इसलिए शब्दों के उच्चारण के पूर्व हमें सोचना चाहिए। कम,
से-कम शब्दों में अर्थपूर्ण बोलना और लिखना एक कला है। वह कला विविध
पुस्तकों के वाचन से, परिश्रम से साध्य हो सकती है। मात्र एक गलत शब्द के
उच्चारण से वर्षों की दोस्ती में दरार पड़ सकती हैं। अब किस समय, किसके
सामने, किस प्रकार के शब्दों का प्रयोग करना चाहिए इसे अनुभव, मार्गदर्शन, वाच
और संस्कारों द्वारा ही सीखा जा सकता है। सुंदर उपयुक्त और अर्थमय शब्दों
जो वाक्य परीक्षा में लिखे जाते है उस कारण ही अच्छी श्रेणी प्राप्त होती
अनाप-शनाप शब्दों का प्रयोग हमेशा हानिकारक होता है।
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परिच्छेद संज्ञा पुं० [सं०] १ काटकर विभक्त करने का भाव । कंड या टुकड़े करना । विभाजन । २. ग्रंथ या पुस्तक का ऐसा विभाग या खंड जिसमें प्रधान विषय के अंगभूत पर स्वतंत्र विषय का वर्णन या विवेचन होता है । ग्रंथ का कोई स्वतंत्र विभाग । ग्रंथविच्छेद । ग्रंथसंधि । अध्याय । जैसे,—अमुक पुस्तक में कुल १० परिच्छेद हैं । विशेष—ग्रंथ के विषय के अनुसार उसके विभागों नाम भी भिन्न भिन्न होते हैं । काव्य में प्रत्येक को सर्ग, कोष में वर्ग, अलंकार में परिच्छेद तथा उच्छ्वास, कथा में उदघात, पुराण और संहिता आदि में अध्याय, नाटक में अंक, तंत्र में पटल, ब्राह्मण में कांड, संगीत में प्रकरण और भाष्य में आह्निक कहते हैं । इसके अतिरिक्त पाद, तरंग, स्तवक, प्रपाठक, स्कंध, मंजरी, लहरी, शाखा आदि भी परिच्छेद के स्थानापन्न हुआ करते हैं । परिच्छेद का नाम विषय के अनुसार नहीं किंतु संख्या के अनुसार होता है; जैसे, नवाँ परिच्छेद, दसवाँ परिच्छेद । ३. सीमा । इयत्ता । अवधि । हद । दो वस्तुओं को स्पष्ट रूप से अलग अलग कर देना । सीमानिर्धारण द्वारा दो वस्तुओं को
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