Political Science, asked by tanyagoel1982, 6 months ago

Aap apne Jivan mein Bhartiya sanvidhan ke Baliya demolay ko kis Prakar Apne Jeevan Mein Apna ayenge Please don't give rubbish answers

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Answered by rocketwomannasa
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Answer:

देश के निरंतर विकास में सुचारू व समन्वित परिवहन प्रणाली की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वर्तमान प्रणाली में यातायात के अनेक साधन जैसे- रेल, सड़क, तटवर्ती नौ संचालन, वायु परिवहन इत्यादि शामिल हैं। देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में भारतीय रेल की महत्वपूर्ण भूमिका है। रेल भारत में यातायात का मुख्य साधन होने के साथ ही देश के जीवन का जरूरी हिस्सा बन चुकी है। रेलगाड़ियों के आवागमन ने जहाँ हमारे देश की कला, इतिहास और साहित्य पर अद्भुत प्रभाव डाला है वहीं हमारे देश के विभिन्न प्रांत के लोगों के बीच विविधता में एकता की अहम कड़ी भी है। भारतीय रेल विभिन्न स्थानों को जोड़ती है और लोगों को देश के एक छोर से दूसरे छोर तक बड़े पैमाने पर तेज गति से और कम लागत पर आने-जाने में मदद करती है। इस प्रक्रिया में भारतीय रेल राष्ट्रीय अखंडता का प्रतीक है।

भारतीय रेल जहाँ अपने सामाजिक दायित्वों का निर्वाह करने के लिए सामाजिक जरूरतों को ध्यान में रखकर यात्री तथा मालगाड़ी काफी कम किराया लेती है, वहीं आपदा या विपत्तियों के समय में देश की नःस्वार्थ भाव से सेवा भी करती है। विश्व की एकमात्र भारतीय रेलवे है जो कई रेल खंडों पर घाटा सहकर भी वहाँ यात्री और मालगाड़ी सेवा परिचालित करती है।

देश में पहली बार 22 दिसम्बर, 1851 को रेलगाड़ी पटरी पर उतरी थी। पहली यात्रा रेल ने 16 अप्रैल, 1853 को मुम्बई से ठाणे के बीच 34 किलोमीटर की दूरी तय की थी। वर्ष 1851 से अभी तक रेलवे को योजनाबद्ध विकास हुआ है। भारतीय रेल द्वारा परिसंपत्ति की उत्पादकता बढ़ाने एवं प्रौद्योगिकी का आधुनिकीकरण करने के लिए अनेक प्रयत्न किए जा रहे हैं। वर्तमान में भारतीय रेल विश्व की सबसे बड़ी रेल प्रणाली है। इसके पास 64,000 किलोमीटर लंबा रेल मार्ग है, जिसमें बड़ी लाईन (52,808 किलोमीटर), मीटर गेज लाइन (8,473 किलोमीटर) और छोटी लाइन (2,734 किलोमीटर) शामिल हैं। भारतीय रेल की 13,000 से अधिक रेलगाड़ियाँ रोजाना चार बार धरती से चाँद तक जितनी दूरी तय करती हैं। रेलों के जरिए प्रतिदिन डेढ़ करोड़ से ज्यादा यात्री अपनी मंजिल पर पहुँचते हैं।

रेल परिवहन सड़क परिवहन की तुलना मे काफी किफायती है। सड़क परिवहन की तुलना में इसमें 6 गुना कम ऊर्जा खर्च होती है और चार गुना अधिक किफायती है। पर्यावरण के प्रदूषण में  रेलवे का योगदान कम होता है। रेलों  के निर्माण की लागत भी अन्य यातायात से लगभग 6 गुना कम बैठती है। फिर भी आम आदमी को सबसे सुलभ, सुगम और कम किराये में अपने गंतव्य तक पहुँचने का सामान्य साधन भारतीय रेल ही बनी हुई है।

इस बार का रेल बजट वाकई ऐतिहासिक था। 93 साल में ऐसा पहली बार हुआ है कि जब रेल बजट अलग पेश नहीं हुआ। इस फैसले से बजट में की गई घोषणाओं को वित्त वर्ष की शुरूआत से ही तेजी से क्रियान्वित करने में मदद मिलेगी, जिससे कारोबारी धारणा मजबूत होगी और रेलवे पर लोकलुभावन माँगों का दबाव भी कम हो सकेगा। रेल बजट को आम बजट में मिलाने तथा योजना और गैर-योजना व्यय के भेद को समाप्त करने से सरकार के भीतर निर्णय की प्रक्रिया सरल और तर्कसंगत होगी। इससे संसाधनों के इस्तेमाल में भी दक्षता आएगी।

इस बार के रेलवे बजट ने रेलवे की चार प्रमुख क्षेत्रों पर ध्यान दिया है। ये क्षेत्र हैं (क) यात्री सुरक्षा, (ख) पूँजीगत एवं विकास कार्यों, (ग) स्वच्छता और (घ) वित्त एवं लेखांकन संबंधी सुधार। निश्चय ही ये बजट रेलवे की दशा और दिशा को बदलने की क्षमता रखता है।

         2017-18 में रेलवे का कुल परिव्यय 1 लाख 31 हजार करोड़ रूपये है जोकि पिछले वर्ष के बजट अनुमान से 8 प्रतिशत ज्यादा है। बजट अनुमान 1 लाख 21 हजार करोड़ था।

         2017-18 के लिए रेलवे का राजस्व 1,78,350 करोड़ रूपये होने का अनुमान है। जो 2016-17 के संशोधित अनुमान से 9औ ज्यादा है।

         2017-18 के लिए रेलवे यातायात से कुल राजस्व 1,88,998 करोड़ रूपये होने का अनुमान है। जो 2016-17 के संशोधित अनुमान से 10औ ज्यादा है।

         माल ढुलाई और यात्री भाड़े से राजस्व में क्रमशः 9औ और 4औ बढ़ने की उम्मीद है।

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