aap bharat desh ke nagrik hai aur aap apne bharat ko kis prakar (write essay in hindi)
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1955 का कानून कहता था कि अवैध प्रवासी भारत के नागरिक नहीं हो सकते. कानून में उन लोगों को अवैध प्रवासी माना गया जो या तो बिना जरूरी कागजों के भारत में रह रहे हैं या वीजा की अवधि खत्म होने के बाद भी भारत में हैं.
नए कानून के अमल में आ जाने के बाद अफगानिस्तान, बांग्लादेश या पाकिस्तान के अल्पसंख्यक बिना किसी कानूनी दस्तावेज के भारत में रहने के हकदार हो जाएंगे. पहले ऐसा होने के लिए उन्हें भारत में 11 साल शरणार्थी के तौर पर बिताना होता था. लेकिन, नए कानून में प्रस्ताव किया गया है कि वे बस छह साल में ही इसके लिए पात्र हो जाएंगे.
संशोधन के मुताबिक, "पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से 14 दिसंबर 2014 से पहले आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई लोगों को छह साल भारत में रहने के बाद भारत की नागरिकता दे दी जाएगी. इसके लिए उन्हें कोई दस्तावेज भी नहीं देने होंगे."
सरकार का कहना है कि इसे किसी धार्मिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए. इसका मकसद उन लोगों के लिए नागरिकता के नियमों को सहज बनाना है जिनका इन तीन देशों में धार्मिक आधार पर उत्पीड़न हो रहा है.
वहीं, विरोधी दलों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह भारत के संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है. देश की बुनियाद मजहबी आधार पर नहीं रखी गई. लिहाजा, धार्मिक आधार पर नागरिकता देना अनुचित है.
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