Hindi, asked by Awesomeabhijeet, 1 year ago

aap kaise kah sakte hain ki Munshi Premchand ek sahaj jeevan Mein Vishwas Karte the?

Answers

Answered by dnyaneshwaribhoyar89
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Answer:

Explanation:Premchand yeksahaj jeeven me viswas rakhate the kyunki tumhe dikhava karana pasand nahi tha ,jabb ve apni patni ke sath photo khichvane jate hai to sat pe pagadi aur dhoti kurta pahante hai aur phate jute me hi phot khinchvate hai.Isse ham kaha sakte hai ki vaha swabhavik Jeevan se jina chahate hai.

Answered by sourasghotekar123
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Answer:

Explanation:

प्रेमचंद अगर आज के हालात, ख़ासकर तथाकथित संस्कृति बचाने वालों को देखते, तो शायद अवसाद में चले जाते. उन्हें संस्कृति राजनीतिक स्वार्थ-सिद्धि के लिए इस्तेमाल होने वाला महज़ साधन लगती थी और उनके अनुसार यही तथाकथित संस्कृति, सांप्रदायिकता को भी स्वार्थ पूरे करने के अवसर देती थी.

एक लेखक और पाठक होने की दृष्टि से कभी-कभी सोचती हूं कि आज जिस घोर-आधुनिक युग में हम जी रहे हैं, जहां पर आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑटोमेटेड टेक्नोलॉजी से स्वयं मानव श्रम की आवश्यकता पर संदेह उठने लगेंगे, तो ऐसे में एक लेखक की और वह भी साहित्य के लेखक की, क्या प्रासंगिकता या आवश्यकता रह जाएगी?

आखिरकार इस समुदाय के पास जनता को देने के लिए क्या बचा रहेगा? क्योंकि आधुनिकता के परम स्तरों पर पहुंच गई इस मानव सभ्यता के पास तो हर एक समस्या का समाधान मिल जाया करेगा, ज्ञान के ऐसे कोई अंधेरे ब्लैकहोल नहीं बचेंगे जिस पर कि उसने अपनी दिमागी क्षमताओं से रोशनी नहीं फेर दी होगी.

तब एक रचनाकार के लिए समाज से अपनी रचना की प्रेरणा ग्रहण करने की संभावनाएं भी क्षीण हो जाएंगी या शायद साहित्य समाज का प्रतिनिधि है, जैसी उक्तियां भी अपनी सार्थकता खो देंगी.

खैर, सोचकर ही जिस बात से इतना डर लगे, सोचिए उसके असल हो जाने की स्थिति में क्या होगा? बहरहाल, लगभग इसी तरह की मनोदशा में रहते हुए एक दिन नज़र हिंदी के प्रसिद्ध साहित्यकार और कथा सम्राट प्रेमचंद के एक आलेख पर पड़ी.

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