aap meri aur aa jaye vakya shudh rup me likhiye
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कई बार संज्ञा पद का उल्लेख करके उसका पुनः अनावश्यक पद के रूप में उल्लेख हो जाने से वाक्य बोझिल हो जाता है और उसकी प्रभावोत्पादकता में कमी आ जाती है।
जैसे –
अशुद्ध – आज आसमान ऊँचाई में बादल हैं।
शुद्ध – आज आसमान में बादल है।
अशुद्ध – मैं सोमवार के दिन आपके गाँव आऊँगा।
शुद्ध – मैं सोमवार को आपके गाँव आऊँगा।
अशुद्ध – हरिनारायण को सफल होने में निराशा है।
शुद्ध – हरिनारायण को सफल होने की आशा नहीं है।
अशुद्ध – वह पशु क्यों रेंकते हैं।
शुद्ध – गधा क्यों रेंकता है।
अशुद्ध – घूस लेने से मना करना ऐसे दृष्टान्त के उदाहरण कम मिलते हैं।
शुद्ध – घूस लेने से मना करना ऐसे दृष्टान्त कम मिलते हैं।
अशुद्ध – पंडित जी ने कहा कि शुभ कार्य में संकट भी आते ही हैं।
शुद्ध – पंडित जी ने कहा कि शुभ कार्य में बाधाएँ भी आती ही हैं।
अशुद्ध – परीक्षा दो तारीख के दिन सम्पन्न होगी।
शुद्ध – परीक्षा दो तारीख को सम्पन्न होगी।
अशुद्ध – ’भारतीय नारी’ नामक शीर्षक निबंध अच्छा है।
शुद्ध – ’भारतीय नारी’ शीर्षक निबंध अच्छा है।
अशुद्ध – भूमिहीन कृषक रामासरे जीता है।
शुद्ध – भूमिहीन कृषक राम के आसरे जीता है।
अशुद्ध – महात्मा के दर्शन से मेरा मन गदगद हो गया।
शुद्ध – महात्मा के दर्शन से मैं गद्-गद् हो गया।
अशुद्ध – दुविधाग्रस्त दीपक से अध्यापक ने कहा कि तुम गीता की पुस्तक पढ़ो।
शुद्ध – दुविधाग्रस्त दीपक से अध्यापक ने कहा कि तुम गीता पढ़ो।
अशुद्ध – देश में अराजकता की समस्या बढ़ रही है।
शुद्ध – देश में अराजकता बढ़ रही है।