Hindi, asked by Lauren111, 1 year ago

आपु आपु कहँ सब भलो,अपने कहँ कोई कोई.
तुलसी सब कहँ जो भलो,सुजन सराहिय सोई.
तुलसीदास के दोहे का अथ बताए

Answers

Answered by AbsorbingMan
49

                   आपु आपु कहँ सब भलो,अपने कहँ कोई कोई.

                   तुलसी सब कहँ जो भलो,सुजन सराहिय सोई

इस दोहे में तुलसीदास जी ने आज स्पष्ट किया है कि परोपकार करने वाले व्यक्ति की ही इस संसार में सराहना होती है। अपने लिए तो सभी भले होते हैं और सभी अपने लिए भलाई का कार्य करने में लगे रहते हैं। किंतु कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हैं जो स्वयं का भला करने के साथ-साथ भी अपने मित्रों एवं सम्बन्धियों के भले के लिए सदैव तत्पर रहते हैं। तुलसीदास जी कहते हैं कि इनसे भी श्रेष्ठ वे व्यक्ति होते हैं जो सभी का भला मानकर उनकी भलाई करने में लगे रहते हैं। इस प्रकार के व्यक्तियों की ही सज्जन व्यक्तियों के द्वारा सराहना की जाती है।


Lauren111: can u plz answer this....मेरे माता - पिता मेरे"आदर्श" speech
Answered by tiger009
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गोस्वामी तुलसीदास ने इस दोहे में यह बतलाने का प्रयास किया है कि इस संसार में परोपकार करने वाले व्यक्ति की ही सराहना होती हैI स्वयं के लिए,अपने लिए तो सभी भले और अच्छे होते हैं और वे अपने लिए समस्त भले कार्य करने में लगे ही रहते हैंI किन्तु कुछ व्यक्ति ऐसे भी होते हैं जो स्वयं का भला करने के साथ-साथ अपने "सुजन" अर्थात् अपने मित्रों और सम्बन्धियों के भले के लिए भीसदैव तत्पर रहते हैंI भक्त कवि तुलसीदास आगे कहते हैं कि इनसे भी श्रेष्ठ व्यक्ति वे होते हैं जो सभी का भला मानकर उनकी भलाई के लिए समर्पित रहते हैं,उसी में लगे रहते हैंI गोस्वामी तुलसीदास के अनुसार सज्जन व्यक्तियों द्वारा ऐसे ही व्यक्तियों की सराहना की जाती हैI

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