आप अपने घर पर पले पशु - पक्षियो के साथ कैसा व्यवहार करते है । only 60 to 50 word
Answers
वैसे तो जानवरों और पक्षियों से इंसान का प्यार कोई नयी बात नहीं है। युगों से इंसान पशु-पक्षियों से प्यार करता रहा है। दुनिया में कई सारे लोग हैं, जो पक्षियों और जानवरों से बेहद प्यार करते हैं। कई लोगों ने कुत्ता, बिल्ली जैसे जानवरों को ऐसे अपना लिया है कि वे उन्हें अपने घर-परिवार का बेहद अहम हिस्सा मानते हैं। कई लोग ऐसे भी हैं जो जानवरों को अपने बच्चे मानते हैं और वे उनका पालन-पोषण वैसे ही करते हैं, जैसे कि इंसानी बच्चों का किया जाता है। पशु-पक्षियों से इंसान के बेइंतेहा प्यार के कई सारे दिलचस्प किस्से भी हैं, लेकिन गीता रानी का पशु-पक्षियों से प्यार बहुत अनूठा है, बेहद निराला है। वो कई पशु-पक्षियों की देखभाल उनकी “माँ” की तरह करती हैं। उनके पास एक, दो, तीन या फिर दर्जन-भर कुत्ते नहीं, बल्कि तीन सौ से ज्यादा कुत्ते हैं। 75 बिल्लियाँ हैं। चिड़िया, मोर, तोता-मैना, कव्वे उनके घर को अपना घर समझते हैं।
mark as brainlist
भारत पशु सुरक्षा और संरक्षण की दिशा में आज भी दुनिया के अन्य देशों के मुकाबले बहुत पिछड़ा हुआ है। हम मूक पशुओं का दोहन करने में अवश्य आगे रहते हैं मगर स्वास्थ्य की देखभाल और चिकित्सा में पीछे हैं। यही कारण है कि दुनिया में सर्वाधिक पशु होने के बावजूद उनका पूरा फायदा नहीं उठा पाते। छोटे-छोटे देश भी दुग्ध उत्पादन में हमसे आगे है। इसका एक मात्र कारण हमारी बेजुबान पशुओं के प्रति उदासीनता है। आज जरूरत इस बात की है कि हम खुद भी जगें और दूसरों को भी जगाएं तभी मूक पशुओं का समय पर उपचार कर पाएंगे। अक्सर देखा जाता है कि हम अपने परिवारजनों का भी समुचित इलाज नहीं करा पाते फिर पशु तो बेचारा अपनी बीमारी और लाचारी के बारे में कुछ बोल भी नहीं सकता। यह हालत विशेषकर ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों की है।
मूक पशु−पक्षियों की सुरक्षा, संरक्षण एवं संवर्धन करना मानव मात्र की जिम्मेदारी है। इसके लिए आम लोगों में जागरूकता बढ़ाने में पशु चिकित्सा विभागीय कर्मचारी−अधिकारी की महती भूमिका होती है। दैनंदिनी जीवन में छोटी−छोटी, किंतु महत्वपूर्ण सावधानियां बरत कर पशु−पक्षियों को अकाल मौत से बचाया जा सकता है। अक्सर देखा जाता है कि जब तक पशु उपयोगी होता है तब तक हम पशुओं की देखभाल करते हैं जैसे ही पशु बीमार हो जाता है या उपयोगी नहीं रहता, हम पशुओं से अपना ध्यान हटा लेते हैं। विभिन्न अवसरों पर बचे−खुचे भोज्य पदार्थों एवं खाद्य सामग्री से भरे या खाली पॉलीथिन खुले में न छोड़कर निर्धारित स्थानों पर इन्हें नष्ट करना चाहिए। अन्यथा पशु−पक्षी विषाक्त आहार को खाकर बीमार हो जाते हैं। अपने पशुओं को लावारिस हालत में नहीं छोड़ना चाहिए। इससे पशु दुर्घटनाग्रस्त होकर चोटिल होते हैं और अकाल मौत मरते हैं।
I hope it me help you mark me as brainliest