Hindi, asked by simranrapriya, 1 month ago

आप अपने जीवन में अनेक प्रकार के लोगों से मिलते हैं। आपको उनसे कुछ सीखने को भी मिलता है और आप उन्हें कुछ सी खाते भी हो । अपना अनुभव लिखिए।

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Answered by kalindichaubey696
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Answer:

हममें से अधिकांश ने अपने जीवन में कभी न कभी किसी मित्र या परिवार के सदस्य की उदारता का लाभ उठाया है जिसने किसी चुनौती या समस्या का सामना करते हुए संघर्ष करते समय हमारी बात सुनी थी। व्यावसायिक सन्दर्भ में, ऐसी सहायता और पथ प्रदर्शन को प्रशिक्षण (कोचिंग) या मार्गदर्शन (मेंटरिंग) कहा जाता है, और इस इकाई में आप इन दो तरीकों के बीच पहचान करना सीखेंगे। आप प्रशिक्षण और मार्गदर्शन से संबद्ध कुछ कौशल और तकनीकें, और शिक्षकों, छात्रों व उनके माता–पिता और/या अभिभावकों के साथ अपने वार्तालापों में उनका उपयोग करने के तरीके, समझेंगे।

बढ़ता हुआ अंतरराष्ट्रीय प्रमाण दर्शाता है कि प्रशिक्षण और मार्गदर्शन के माध्यम से संगठन का प्रमुख अपने संगठनों और समुदायों के कार्य प्रदर्शन में उल्लेखनीय सुधार कर सकते हैं (उदाहरण के लिए, बार्नेट और ओ मैहोनी, 2006)। भारत में, नेशनल प्रोग्राम डिजाइन एंड करिकुलम फ्रेमवर्क स्पष्ट करता है कि प्रशिक्षण और मार्गदर्शन किस प्रकार कक्षा शिक्षण को और अधिक प्रभावी बना सकते हैं। एक विद्यालय प्रमुख के रूप में आप (कैसे इन तकनीकों का उपयोग अपने विद्यालय में) ‘पढ़ाने और सीखने‘ में सुधार करने के लिए कर सकते हैं (नेशनल युनिवर्सिटी ऑफ एजुकेशनल प्लानिंग एंड एडमिनिस्ट्रेशन, 2014)।

ऐसी रणनीतियों को लागू करके, संगठन प्रमुख अपने संगठन की सफलता में योगदान करते हुये–निश्चित तौर पर हर उस व्यकित के कार्य प्रदर्शन को बेहतर बना सकते हैं, जिनको प्रशिक्षण या मार्गदर्शन दिया गया हो, प्रशिक्षण यह मार्गदर्शन किए जा रहे व्यक्ति के कार्यप्रदर्शन को सुधार सकते हैं। विद्यालय नेताओं का संसाधनों पर विरल रूप से ही नियंत्रण होता है, लेकिन उनमें विद्यालय की ऐसी संस्कृति की रचना करने की क्षमता होती है जो विद्यालय में हर व्यक्ति को महत्व देती है और संबंधों के महत्व पर जोर देती है तथा शिक्षकों को सहायता प्रदान करती है। आपके विद्यालय में प्रशिक्षण और मार्गदर्शन का अभ्यास और सहकर्मियों के साथ कौशलों का साझा किया जाना शिक्षकों और छात्रों के बीच समृद्ध संबंधों की स्थापना में योगदान करेगा, जिससे सीखने और कार्यसिद्धि की गुणवत्ता प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित होगी।

अधिगम डायरी

इस इकाई में काम करते समय आपसे अपनी सीखने की डायरी में नोट्स बनाने को कहा जाएगा। यह डायरी एक किताब या फोल्डर है जहाँ आप अपने विचारों और योजनाओं को एकत्र करके रखते हैं। संभवतः आपने अपनी डायरी शुरू कर भी ली है।

इस इकाई में आप अकेले काम कर सकते हैं लेकिन यदि आप अपने सीखने की चर्चा किसी अन्य विद्यालय प्रमुख के साथ कर सकें तो आप और भी अधिक सीखेंगे। यह कोई सहकर्मी हो सकता है जिसके साथ आप पहले से सहयोग करते आ रहे हैं या कोई व्यक्ति जिसके साथ आप नए संबध बनाना चाहते हैं। इसे नियोजित ढंग से या अधिक अनौपचारिक आधार पर किया जा सकता है। आपकी सीखने की डायरी में बनाए गए आपके नोट्स इस प्रकार की बैठकों के लिए उपयोगी होंगे और साथ ही आपकी दीर्घावधि की शिक्षण–प्रक्रिया और विकास का प्रतिचित्रण भी करेंगे।

इस इकाई से विद्यालय नेता क्या सीख सकते हैं

मार्गदर्शन और प्रशिक्षण को अलग-अलग पहचानना, और स्टाफ के अधिगम, में सहायता करने के लिए दोनों का उपयोग करना।

स्टाफ के सदस्यों के साथ आपके विद्यालय में अध्यापन और सीखने में सुधार करने के लिए वार्तालाप करना।

एक मत परिणामों वाले प्रशिक्षण और मार्गदर्शन सत्रों का नियोजन और आयोजन करना।

अपने विद्यालय में प्रशिक्षण की संस्कृति के लाभों पर विचार करना।

1 प्रशिक्षण और मार्गदर्शन के बीच समान क्या है

अधिकांश लोग प्रशिक्षण और मार्गदर्शन के बारे में ऐसे जिक्र करते हैं जैसे वे दोनों एक ही चीज हैं। हालांकि वे व्यक्तियों और टीम के साथ काम करने के दो अलग अलग तरीके हैं, उनमें एक महत्वपूर्ण बात एकमत है: दोनों ही उस व्यक्ति के साथ मजबूत, विश्वासपूर्ण संबंधों का विकास करने में सक्षम होने की उनकी प्रभावकारिता पर निर्भर हैं जिसकी मदद प्रशिक्षक या मार्गदर्शक कर रहा है। ऐसे संबंधों का निर्माण करने के लिए यह सीखना कि सहमति-जन्य वार्तालाप कैसे आयोजित किए जाए, सचमुच महत्वपूर्ण होता है।

सहमति-जन्य वार्तालाप वह होता है जिसमें दोनों वक्ता सामंजस्य में होते हैं। हालांकि संभव है कि उनके वार्तालाप का प्रयोजन सहमति प्राप्त करना न हो, वे इस बात पर सहमत होते हैं कि वे कैसे:

एक दूसरे की बात सुनेंगे और समझेंगे

दूसरा व्यक्ति जो कुछ कह रहा है उसमें सच्ची दिलचस्पी दिखाएंगे

दूसरे व्यक्ति और उसके द्वारा व्यक्त विचारों के प्रति सम्मान जताएंगे।

एक विद्यालय प्रमुख होने के नाते, (आप इस बात के अभ्यस्त हों कि लोग आपसे, आपके पद के कारण सहमत हों) इसलिए सच्चे सहमति-जन्य वार्तालाप आयोजित करना ऐसा कौशल हो सकता है जिसे आपको अक्सर सीखना और अभ्यास करना पड़ता है!

चित्र 1 स्पष्ट प्रयोजन के साथ वार्तालाप।

यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि दो सहकर्मियों का सामान्य ढंग से अपने काम के बारे में बातचीत करना केवल एक ‘गपशप’ होता है। जब उनका वार्तालाप किसी

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