आप अपनी कक्षा के विद्यार्थीयों के साथ 'Corbett Muesm ' में जाते हैं , जाने के बाद अनुभव को 100 शब्दों में लिखिए
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मोनिका शेखर, नई दिल्ली। अगर आप वाइल्ड लाइफ के शौकीन हैं और पहाड़ की सैर का लुत्फ उठाना चाहते हैं तो क्रिसमस की छुट्टियों को यादगार बनाना के लिए जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क की सैर पर निकल जाएं। कॉर्बेट के मनोहारी दृश्य और खूबसूरत नजारें को देखकर आप मग्नमुग्ध हो जाएंगे। कुमाऊ पहाड़ियों के अद्भूत प्राकृतिक दृश्यों से घिरे जंगल और रामगंगा नदी के किनारे बसा है जिम कॉर्बेट पार्क नेशनल पार्क। जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क भारत में सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यान है। देश के सबसे लोकप्रिय टाइगर रिजर्वो में से एक उत्तराखंड का जिम कॉर्बेट रिजर्व। उत्तराखंड के नैनीताल के निकट हिमालय की पहाड़ियों पर स्थित जिम कार्बेट नेशनल पार्क विभिन्न वन्य, जीवों और वनस्पतियों के लिए जाना जाता है।
इतिहास:-
इस पार्क का इतिहास ब्रिटिश काल से जुड़ा है। इस पार्क को 1936 में गवर्नर मैलकम हैली के नाम पर 'हैली नेशनल पार्क' का नाम दिया गया था। यह भारत का पहला राष्ट्रीय पार्क और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा पार्क बना। आजादी के बाद इस उद्यान का नाम रामगंगा नेशनल पार्क रखा गया। 1957 में इसे जिम कोर्बेट राष्ट्रीय उद्यान का नाम दिया गया। जिम कोर्बेट एक चतुर शिकारी था। पार्क का क्षेत्रफल लगभग 1318 वर्ग किमी है। केवल 520 वर्ग किमी एरिया में टाइगर रिजर्व प्राजेक्ट के लिए सुरक्षित है।
जोन-
जानवरों को देखने के लिए पार्क को पांच जोन में बांटा गया है जिनका नाम झिरना, बिजरानी, ढिकाला, दुर्गादेवी व सोनानदी है। सैलानियों के लिए निर्धारित पांचों जोनों में रात को रुकने के लिए वन विभाग के विश्राम भवन है। प्रत्येक जोन का अलग-अलग अनुभव सबको आश्चर्यचकित करता है। जानवरों का गर्जन और पक्षीयों की झाड़ियों में फड़फड़ाने की आवाजें का जादू कानों में गुजता है। हर जोन के मिश्रित क्षणों को चिंतन करने पर मजबूर करता है।
जीप सफारी- पार्क में घूमने के लिए जीप सफारी सबसे सुविधाजनक माध्यम है। रामनगर के टूरिस्ट लॉज और अन्य टूरिस्ट एंजेसियों से जीप किराए पर मिल सकती हैं। खुली जीप में बैठकर जंगल और जंगली पशुओं को देखने का अपना ही मजा है।
हाथी सफारी- टाइगरों को देखने के लिए हाथी की सवारी सबसे बेहतर मानी जाती है। हाथी पर बैठकर पर्यटक जंगल में शाल के पेड़ों के बीच से होकर गुजरते हैं। पार्क में विभिन्न प्रजातियों के पक्षी और जानवरों को नजदीक से देखने के लिए हाथी सफारी का आनंद लिया जा सकता है।
जानवर- पर्यटक यहां मुख्य रूप से टाइगरों को देखने आते हैं। शेर की दहाड़ और हाथियों की चिंघाड़ हमेशा से ही पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहे हैं। पार्क में बड़ी संख्या में बाघ, तेंदुआ, हाथी, हिरण, गुलदार, सांभर, चीतल, काकड़, जंगली सूअर, भालू, बंदर, सियार, नीलगाय, भेड़िए, नेवला, ऊदबिलाव, खरगोश, चीतल, लंगूर आदि जानवरों को देखा जा सकता है। यहां बहने वाली नदियों में घड़ियालों को भी देखा जा सकता है।
पक्षी- कार्बेट में लगभग 600 से अधिकर रंग-बिरंगे पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं। यहां बगुला, डार्टर, जलकौवा, टिटहरी, पैराडाइज फ्लाईकैचर, मुनिया, वीवर बर्ड्स, फिशिंग ईगल, सर्पेन्ट ईगल, जंगली मुर्गा, मैना, मोर, बार्बेट, किंगफिशर, बत्तख, गीज, सेंडपाइपर, नाइटजार, पेराकीट्स, उल्लू, कठफोड़वा, चील आदि पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं।
वनस्पतियां- कार्बेट प्रकृति की अपार वन-संपदा को अपने में समेटा हुआ है। यह पार्क पहाड़ियों और नदियों के बीच बसा हुआ है। पार्क शाल के पेड़ों से घिरा हुआ है। विभिन्न प्रजाति के पेड़ पौधों देखे जा सकतें हैं। दूरस्थ क्षेत्र में चिर और अनौरी के पेड़ देखने को मिलते हैं। पार्क के कुछ हिस्सों में बांस की विभिन्न किस्में देखी जा सकती हैं।
भ्रमण का समय-
कार्बेट नेशनल पार्क में पर्यटकों के भ्रमण का समय नवंबर से मई तक होता है। 16 जून से 15 नवंबर तक पार्क बंद रहता है।
कैसे जाएं-
सड़क मार्ग-दिल्ली से मुरादाबाद-काशीपुर-रामनगर होते हुए कार्बेट की दूरी 290 किमी है। दिल्ली से मुरादाबाद हापुड़ और गजरौला होते हुए रामनगर पहुंचा जा सकता है। दिल्ली परिवहन निगम की बसें रामनगर तक जाती हैं। लखनऊ से भी रामनगर के लिए बसों की व्यवस्था है। कुमाऊं विकास निगम भी प्रति शुक्रवार के दिल्ली से कार्बेट नेशनल पार्क तक पर्यटकों को ले जाने के लिए संचालित भ्रमणों का आयोजन करता है।
वायुमार्ग- कार्बेट से 50 किमी. दूर पंतनगर में स्थित फूलबाग नजदीकी एयरपोर्ट है। फूलबाग से बस या टैक्सी के माध्यम से कार्बेट पहुंचा जा सकता है।
रेलमार्ग- कार्बेट से 21 किमी. दूर रामनगर नजदीकी रेलवे स्टेशन है। रामनगर से सड़क मार्ग के द्वारा कार्बेट पहुंचा जा सकता है।
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