आप अपने पारिवारिक रिश्तों-संबंधों के बारे में एक निबंध लिखिए।
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पारिवारिक रिश्तों-संबंधों के बारे में एक निबंध :
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है। इसी कारण वह जहां भी रहता है अपने आसपास रहने वालों को संपर्क में आकर कुछ उनके और कुछ अपने संस्कार एक दूसरे से लेता देता रहता है। हमारे परिचित अनेक परिवार होते हैं जिनमें से कुछ के साथ हमारे औपचारिक तथा एक दो के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित हो जाते हैं। जो परिवार हमारे आदर्शों के अनुरूप होता है वह हमें बहुत प्रभावित करता है और उस परिवार के साथ हमारे संबंध होते जाते हैं। इसी प्रकार का एका आदर्श परिवार हमारे संपर्क में भी है। डॉक्टर रोहन और डॉक्टर साधना का परिवार एक ऐसा आदर्श परिवार है, जिसे मैंने अपनी आंखों से देखा और जाना है।
डॉक्टर रोहन कुमार एक सुप्रसिद्ध शल्य चिकित्सा के तथा उनकी पत्नी डॉ साधना बाल रोग विशेषज्ञ है। उनके दो बच्चे हैं एक लड़का और एक लड़की। इस प्रकार इस परिवार ने भारत सरकार की आदर्श परिवार की परिकल्पना को सत्य करने के लिए हम दो हमारे दो मूल मंत्र को सार्थकता प्रदान की है।
इस परिवार के सबसे बड़ी विशेषता यह है कि आर्थिक रूप से संपन्न होते हुए भी इनमें अभिमान नहीं है अपितु यह सभी बहुत विनम्र। इन्होंने अपने परिवार में लड़का और लड़की में कोई भी भेदभाव नहीं किया।
इनके परिवार में घरेलू काम करने के लिए नौकर है फिर भी माता-पिता के साथ बच्चे भी घर के काम में हाथ बटांते हैं। सबका दैनिक कार्यक्रम एक निश्चित समय सारणी के अनुसार होता है। केवल इतना ही नहीं किसी अतिथि के आने पर यह सभी समुचित आदर सत्कार करते हैं यह परिवार जब भी किसी दूसरे के घर जाता है तो वहां उस परिवार के साथ पूरी तरह से घुलमिल जाते हैं तथा उनके साथ पूरा सहयोग करते हैं।
जब कभी इनके नाना-नानी दादा-दादी इनसे मिलने आते हैं तो वह उनके छोटे-मोटे काम करने में आनंद का अनुभव करते हैं तथा उनके समस्त सुख सुविधाओं का ख्याल भी रखते हैं। जब कभी कहीं किसी को मुश्किल में देखते हैं तो अपने सब काम छोड़ कर उनकी मदद करना इस परिवार का विशेष कौन है।
इस प्रकार में कह सकती हूं कि यह एक आदर्श परिवार है , इसका अनुसरण करने से हमें एक आदर्श समाज की स्थापना करके अपने देश को महान बना सकते हैं।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।
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Explanation:
Explanation:
मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है ।रिश्ते सामाजिक संबंधों का आधार है ।रिश्तों में कड़वाहट मनुष्य में मानसिक अशांति पैदा करती है । रूठे सुजन मनाइये ज्यों रूठे सौ बार, रहिमन पुनि-पुनि पोहिये जैसे मुक्ताहार।मेरा मानना है कि आप भी अपने मतभेदों को प्यार व समझदारी से सुलझाकर रिश्तों को बनाए रख सकतेहै। रिश्तों में प्यार स्थायित्व व जीवन्तता लाने के लिए मैं कुछ अपने विचार आपके समक्ष रखूंगी आशा करती हूँ कि आप अपनी राय अवश्य देंगे ।रिश्तों में प्यार - किसी भी रिश्ते में प्यार का होना जरूरी ही नहीं , परमावशक है। रिश्ता चाहें दोस्ती का हो या कोई और, प्यार ही है जो रिश्तों में मिठास बढ़ता है ।प्यार से रहित होकर रिश्ते सिर्फ एक बोझ बनकर रह जाते है और फिर जिन्दगी भर हम उन्हें एक जानवर की भाॅति ढोते रहते है ।रिश्तों में एहसास - रिश्तों में नित नवीन ऊर्जा का संचार कर उसमें नयी स्फूर्ति भरने के लिए एहसास का होना बहुत जरूरी है क्योंकि एहसास ही है जो रिश्तों को एक दूसरे से जोड़े रखता है । वर्षों पहले शादी के बंधन में बॅधकर एक हुए दो अजनबियों को जिन्दगी भर एक दूसरे से जोड़े रखता है एहसास का बंधन ।रिश्तों में अपनापन - रिश्ता वही जिसमें एक दूसरे के प्रति अपनत्व हो क्योंकि हर कोई चाहता है कि उसके सामने वाला व्यक्ति उसकी हर खुशी हर गम को बिना बताए ही जान ले और यह तभी संभव है जब हमारे दिलों में एक दूसरे के प्रति अपनापन होगा क्योंकि एक दूसरे की खुशी -गम -दुःख जानने के लिए एक दूसरे को अपनाना पड़ता है क्योंकि रिश्ते कभी भी समझौते के सौदागर नहीं होते । हर खुशी हर गम में साथ - "कभी खुशी कभी गम "यही जिन्दगी जीने का नाम है और रिश्ते वह आधार है जो हर गम को छोटा और हर खुशी को बड़ा कर देते हैं ।रिश्ते ही है जो पूरी तरह से टूट चुके व्यक्ति को फिर से सभांल सकते है। रिश्ते ही है जो जिन्दगी से हार चुके व्यक्ति को फिर से जीने की नई राह दिखाते है । रिश्ते ही है जो हर दुःख को झेलने की ताकत और हर खुशी को आनंदमयी।बनाते हैं । इसलिए हमेशा ही हर पहलू में अपने नजदीकी के और नजदीक आए और उसे जीना सिखाएं।रिश्तों में समझ - रिश्तों को तभी निभाया जा सकता है जब हमें रिश्तों की समझ होगी ।अगर आप पिता हैं तो हमेशा अपने पुत्र को अपनी बेटी को समझने की कोशिश करें ।अगर आप दोस्त है तो अपने दोस्त की हर मुस्कान और हर चुप्पी को हर उदासी को समझने की कोशिश करें ,अगर रिश्तों में समझ है तो कभी भी पति -पत्नी के बीच तलाक जैसी स्थिति नहीं आ सकती अगर रिश्तों में समझ है तो कभी भी मुंह बोले भाई -बहिन की तरफ कोई आॅख उठाकर नहीं देख सकता है ।अतः हर रिश्ते में समझ का होना परमावश्यक है शायद जो मैंने लिखा है वो रिश्तों को परिभाषित करने के लिए कम हो, लेकिन कभी भी किसी रिश्ते को टूटने न दे, उन्हें संजोकर रखें, क्योंकि रिश्ते ही है जो जिन्दगी जीने की वजह बतलाते है।