आप के घर में त्योहार को वक्त बनाए जाने वाले किस एक भोजन के बारे मे चार वाक्य
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हमारे देश की एक ख़ास बात है, यहां हर मौसम के हिसाब से कुछ त्योहार होते हैं और हर क्षेत्र में उस त्योहार के कुछ ख़ास पकवान बनते हैं, जो उस मौसम से लड़ने के लिए शरीर को ताकत तो देते ही हैं, हमें अच्छा स्वाद भी देते हैं। तो आज हम आपको बताते हैं पूरब से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक भारत के अलग - अलग हिस्सों में जनवरी का ख़ास त्योहार मकर संक्रांति (उत्तर भारत) किस तरह मनाया जाता है व इस त्योहार में वहां क्या ख़ास पकवान बनते हैं...
पोंगल, बिहू, लोहड़ी, खिचड़ी, मकर संक्रांति ये नाम हैं उस त्योहार के जो देश के ज़्यादातर हिस्सो में 13 व 14 जनवरी को मनाया जाता है। ये त्योहार इस मौसम में तैयार होने वाली अच्छी फसल की खुशी में मनाए जाते हैं। फसल से जुड़े बाकी सारे त्योहारों की तरह ये त्योहार भी खाने के इर्द - गिर्द घूमते हैं।
उत्तर की खिचड़ी
पंजाब में लोहड़ी त्योहार मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है। इस त्योहार में दोस्त और परिवार के लोग इकट्ठे होते हैं और अलाव जलाकर उसके चारो ओर नाचते गाते हैं, साथ ही रेवड़ी, गजक, चिक्की, मूंगफली व पॉपकॉर्न खाते हैं। इनमें वही सारे चीज़ें इस्तेमाल की जाती हैं जो मौसम की फसल से मिलती हैं। पंजाब के ज़्यादातर घरों में इस दिन सरसों का साग और मक्के की रोटी बनती है। इसके साथ ही मट्ठा व गुड़ का साथ इसके स्वाद को और बढ़ा देता है। इसके अलावा पंजाब में लोहड़ी पर रसखीर भी बनती है। रसखीर गन्ने के रस में चावल डालकर पकाई जाती है।
मक्के की रोटी सरसों का साग
उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति को मघही भी कहा जाता है। कुछ हिस्सों में इसे उत्तरायणी भी कहते हैं। इस दिन सूरज अपनी दिशा बदलकर उत्तर में जाता है। यूपी में लोग इस दिन सुबह गंगा स्नान करने को शुभ मानते हैं। यूपी, बिहार, झारखंड, दिल्ली, उत्तराखंड, हरियाणा जैसे राज्यों के ज़्यादातर घरों में इस दिन खिचड़ी बनती है। हालांकि अलग - अलग हिस्सों में खिचड़ी बनाने का तरीका अलग - अलग होता है। बिहार व झारखंड में इस दिन विशेष रूप से दही, चुड़ा, तिलकुट, मस्का, भूरा के साथ आलूदम खाते हैं।
उड़द दाल की खिचड़ी
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश व हरियाणा में इस दिन उड़द की दाल में चावल मिलाकर खिचड़ी बनती है, तो ब्रज क्षेत्र में इस दिन मूंग की दाल की खिचड़ी बनती है। बिहार, झारखंड व पूर्वांचल में मकर संक्रांति पर अरहर की दाल की खिचड़ी बनती है, वो भी सब्ज़ियां मिलाकर। यही वजह है कि इन राज़्यों में इस त्योहार को खिचड़ी नाम से भी जानते हैं। इसके साथ ही तिल और गुड़ से बनी मिठाई भी इस त्योहार की ख़ासियत होती है।
पूरब में चावलों का उत्सव
बंगाल में मकर संक्रांति पौश पबर्न के नाम से मशहूर है। इसे वहां पौष महीने के आखिरी दिन के रूप में मनाते हैं। इस दिन पश्चिम बंगाल के घरों में चावल के आटे में नारियल व खजूर का गुड़ भरकर पीठा बनाया जाता है। इसके साथ ही बंगाल में भी पौश पर्बन पर उत्तर प्रदेश की ही तरह काली उड़द की खिचड़ी बनती है लेकिन इसमें सब्ज़ियां भी मिक्स होती हैं, ये खिचड़ी से कुछ पतली भी होती है, जिसे आलू भाजा, बेगुन भाजा और उच्चे भाजा (आलू, बैंगल व लौकी की सब्ज़ी) बनाई जाती है।
पीठा
असम में भी यह त्योहार चावल के साथ ही मनाया जाता है। यहां इसे बिहू के नाम से मनाते हैं। बिहू में शाम को बड़ा अलाव जलाकर जिसे मेजी कहते हैं, उसके आस-पास लोग इकट्ठा होते हैं। इस त्योहार पर यहां के लोग बिहू पीठा बनाते हैं जिसमें तिल पीठा, नारिकेल पीठा, घिला पीठा शामिल होता है, जिसे तिल, नारियल, गुड़ और चावल मिलाकर बनाया जाता है। इसके साथ ही यहां दाल, मछली, बतख और मटन, चिकन जैसी डिशेज भी बनती हैं। इसके अलावा यहां का एक और सबसे ख़ास व्यंजन होता है जिसमें 108 तरीके के साग से बनता है। इस साग को उबले हुए चावल व घी के साथ खाया जाता है। ऐसा मानते हैं कि ये शरीर को शुद्ध करता है और उसे शक्ति देता है।
बिहू पीठा
पश्चिम की सुगंध
पूरब और उत्तर भारत की तरह पश्चिम भारत में न तो ठंडी हवाओं के बीच गंगा में नहाना पड़ता है और ही आग जलाकर इस दिन का स्वागत किया जाता है। पश्चिमी भारत में मकर संक्रांति को उत्तरायण के नाम से मनाते हैं और यहां इस त्योहार पर पतंग उड़ाने का चलन है। लगभग पूरे गुजरात और राजस्थान के कुछ हिस्से में आसमान इस दिन रंग - बिरंगी पतंगों से ढका हुआ नज़र आता है। वैज्ञानिक तौर पर इस दिन पतंग उड़ाने से शरीर का जो व्यायाम होता है उससे इनफेक्शन से लड़ने में मदद मिलती है और दिन भर धूप में रहने से एक दिन में शरीर में इतना विटामिन डी इकट्ठा हो जाता है जो महीनों तक काम आता है।
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सामाजिक रूप से पतंगबाज़ी के दौरान लोगों को एक - दूसरे से जुड़ने का भी मौका मिलता है। गुजरात में इस दिन जलेबी, चिक्की, नमकीनों का मिश्रण, ढोकला और खिचड़ी बनती है। लेकिन इस दिन ख़ास तौर पर गुजरात में उंधियू पूरी बनाई जाती है। उंधियू को बनाने के लिए हरी बींस, नए छोटे आलू, छोटे बैंगन, कच्चा केला, शकरकदंर और यम (कंद) का इस्तेमाल किया जाता है। परंपरागत तरीके से उंधियू को मटके में बनाया जाता है।
इसके लिए पहले मसाला तैयार करके इसे कई सब्ज़ियों में भर कर और कुछ सब्ज़ियों को मसाले में मिला कर, मटके में केले के पत्ते रख कर सब्ज़ी की पोटली बना कर या फिर उसे पत्तों में लपेट कर रख दिया जाता है। अब इनके उपर आम के पत्ते रख कर मटके के मूंह को आटे से बंद या सील कर दिया जाता है। ज़मीन में गढ्ढा खोद कर उसमें आग चलाकर तैयार किए मटके को उलटा करके रख दिया जाता है। उंधियू का मतलब ही 'उलटा' होता है। इसे बनाने के तरीके से ही इसका नाम उंधियू पड़ गया। इसी तरह उलटे रखे मटके में सब्ज़ियां 1-2 घंटे तक धीमी आंच पर पकती
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हमारे देश की एक ख़ास बात है, यहां हर मौसम के हिसाब से कुछ त्योहार होते हैं और हर क्षेत्र में उस त्योहार के कुछ ख़ास पकवान बनते हैं, जो उस मौसम से लड़ने के लिए शरीर को ताकत तो देते ही हैं, हमें अच्छा स्वाद भी देते हैं। तो आज हम आपको बताते हैं पूरब से लेकर पश्चिम तक और उत्तर से लेकर दक्षिण तक भारत के अलग - अलग हिस्सों में जनवरी का ख़ास त्योहार मकर संक्रांति (उत्तर भारत) किस तरह मनाया जाता है व इस त्योहार में वहां क्या ख़ास पकवान बनते हैं...
पोंगल, बिहू, लोहड़ी, खिचड़ी, मकर संक्रांति ये नाम हैं उस त्योहार के जो देश के ज़्यादातर हिस्सो में 13 व 14 जनवरी को मनाया जाता है। ये त्योहार इस मौसम में तैयार होने वाली अच्छी फसल की खुशी में मनाए जाते हैं। फसल से जुड़े बाकी सारे त्योहारों की तरह ये त्योहार भी खाने के इर्द - गिर्द घूमते हैं।
उत्तर की खिचड़ी
पंजाब में लोहड़ी त्योहार मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है। इस त्योहार में दोस्त और परिवार के लोग इकट्ठे होते हैं और अलाव जलाकर उसके चारो ओर नाचते गाते हैं, साथ ही रेवड़ी, गजक, चिक्की, मूंगफली व पॉपकॉर्न खाते हैं। इनमें वही सारे चीज़ें इस्तेमाल की जाती हैं जो मौसम की फसल से मिलती हैं। पंजाब के ज़्यादातर घरों में इस दिन सरसों का साग और मक्के की रोटी बनती है। इसके साथ ही मट्ठा व गुड़ का साथ इसके स्वाद को और बढ़ा देता है। इसके अलावा पंजाब में लोहड़ी पर रसखीर भी बनती है। रसखीर गन्ने के रस में चावल डालकर पकाई जाती है।
मक्के की रोटी सरसों का