आप के दादा- दादी जी आप के सबसे अच्छे मित्र हैं ।यह बात अपने मित्र को बताते हुए पत्र लिखिए
plz answer it's very urgent.
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सहायता करें
दादा-दादी के रूप में आपकी ज़िम्मेदारी घर में नन्हें मेहमान के आने की खुशी के साथ शुरू होती है। जैसे ही आपको अच्छी खबर मिलती है आपको तुरंत अपने बच्चों की सहायता के लिए हाथ बढ़ाने होंगे। आपको इस महत्वपूर्ण चरण के दौरान बच्चे की देखभाल करने के बारे में सुझाव प्रदान करने होंगे और उन्हें यह आश्वासन देना होगा कि आप हर समय उनके मार्गदर्शन और समर्थन करने के लिए मौजूद हैं। आपको सुनिश्चित करना होगा कि आप अपना वादा रखेंगे और आवश्यकतानुसार अपना समर्थन देंगे।
वास्तविक बनिए
हालाँकि आपको इस चरण के दौरान और बच्चे के जन्म के बाद अपने बच्चों का समर्थन करने के लिए उनके साथ ज्यादातर समय मौजूद होना चाहिए लेकिन इसके यह जरुरी नहीं की आपको अपनी नौकरी छोड़नी पड़े या काम करने के लिए स्थानांतरित करने जैसे प्रमुख जीवन-परिवर्तनकारी निर्णय लेने के लिए मजबूर होना पड़े। आपको हमेशा याद रखना होगा कि आप दूसरे व्यक्ति का समर्थन, प्यार और देखभाल प्रदान तभी कर सकते हैं जब आप अपने जीवन में शांत और संतुष्ट रहें। आप कौन हैं इसे पहचानिए और वास्तविक बनिए।
ज्यादा खरीदारी न करें
कई दादा-दादी अपने नाती-पोतों के जन्म की खबर सुनकर उत्साहित हो जाते हैं और उनके लिए बाज़ार से सब कुछ खरीद लेते हैं। आपकी भावनाओं को पूरी तरह समझा जा सकता है लेकिन जहाँ तक पैसे के मामलों की बात हैं तो आपको हमेशा बुद्धिमानी से व्यवहार करना चाहिए। खरीदारी के लिए जरुरी नहीं कि सारा ही सामान ख़रीदा जाए।
स्वस्थ संबंध स्थापित करें
यद्यपि आप नए जन्म के आगमन को लेकर बहुत उत्साहित हैं लेकिन यह मत भूलिए कि उनके नाना-नानी भी है और वे भी इस खबर पर उतने ही खुश है जितने आप है। सभी काम अकेले खुद करने की बजाय अपनी जिम्मेदारियों को उनके साथ साझा करें, एक-दूसरे के साथ संचार करें, सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखें और बच्चे की शिक्षा-दीक्षा सुनिश्चित करने के लिए अपना प्रयत्न करें।
बंधन मजबूत करें
दादा-दादी अपने पोते-पोती के साथ एक विशेष बंधन स्थापित करना चाहते हैं लेकिन कई लोग इस रिश्ते पर हावी हो जाते हैं। वे दूसरों के साथ प्रतिस्पर्धा करना शुरू करते हैं या बच्चों को मजबूर करते हैं की उन्हें पसंद करे। इस तरह आप बच्चों के सामने अपनी नकारात्मक छवि पेश करते हैं। बस अपने पोता-पोती के साथ समय बिताए, उनका अच्छा ख्याल रखें और समय दें स्वाभाविक रूप से संबंधो को मजबूत होने के लिए।
संपर्क बनाए रखें
यदि आप अपने बच्चों से दूर रह रहे हैं तो अपने बच्चों और पोते-पोती के साथ संपर्क बनाए रखें और उन्हें घर बुलाएं, उनसे मुलाकात करें तथा उन्हें अपने स्थान पर आमंत्रित करें ताकि आप यह सुनिश्चित कर सकें कि आप अपने पोते-पोती से नियमित रूप से मिल पाएंगे और उनके साथ गुणवत्ता का समय बिताएंगे।
अच्छी सीख दें
जैसे जैसे आपके पोता-पोती की उम्र बढ़नी शुरू होती हैं आपको उनमें अच्छे नैतिक मूल्यों को विकसित करने की जिम्मेदारी लेनी होगी। अलग-अलग परिस्थितियों को कैसे संभालना है यह जानने में उनकी मदद के लिए आपको अपने अनुभवों और कहानियों को उनके साथ साझा करना होगा।
कठोर मत बने
अगर आप अपनी विचारधारा के है और आप अच्छी तरह से समझते हैं कि सही और गलत में अंतर क्या है तो इसका यह मतलब नहीं है कि अपने पोता-पोती के लिए जिंदगी के नियम कड़े कर देंगे। उन्हें मार्गदर्शन करने आपका कर्तव्य है पर ध्यान रखें उनके साथ बातचीत करते समय ज्यादा कठोर नहीं हो। अपने स्वभाव में नरमाहट लाए जब भी आवश्यक हो उनके विचारों और नियमों को सुनें।
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PLS MARK BRAINLIEST ANSWER