Hindi, asked by anubhav7063, 10 months ago

आप नदियों और हिमालय के बारे में 10 पंक्तियां लिखिए l​

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Answered by ap1861450
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Answer:

भारतीय हिमालय के 4 भाग : जम्मू-कश्मीर हिमालय (सिन्धु नदी से सतलुज नदी के बीच का भाग), गढ़वाल-कुमाऊं हिमालय (सतलुज से काली नदी (सरयू) के बीच का भाग), नेपाल हिमालय (सरयू नदी से तीस्ता नदी के बीच का भाग), असम-अरुणाचल हिमालय (तीस्ता नदी से ब्रह्मपुत्र नदी के मोड़ तक का भाग)

जैन ग्रंथ 'जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति' में हिमवान की जंबूद्वीप के 6 वर्ष पर्वतों में गणना की गई है और इस पर्वतमाला के 'महाहिमवंत' और 'चुल्लहिमवंत' नाम के दो भाग बताए गए हैं। महाहिमवंत पूर्व समुद्र (बंगाल की खाड़ी) तक फैला हुआ है और चुल्लहिमवंत पश्चिम और दक्षिण की ओर वर्षधर पर्वत के नीचे वाले सागर (अरब सागर) तक फैला है। इस ग्रंथ में गंगा और सिन्धु नदियों का उद्गम चुल्लहिमालय में स्थित सरोवरों से माना गया है। महाहिमवंत के 8 और चुल्ल के 11 शिखरों का उल्लेख 'जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति' में है।

हिमालय के पर्वत : हिमालय के बीचोबीच सुमेरू पर्वत है। सुमेरू के दक्षिण में हिमवान, हेमकूट तथा निषध नामक पर्वत हैं, जो अलग-अलग देश की भूमि का प्रतिनिधित्व करते हैं। सुमेरू के उत्तर में नील, श्वेत और श्रृंगी पर्वत हैं, वे भी भिन्न-भिन्न देश में स्थित हैं। इस सुमेरू पर्वत को प्रमुख रूप से बहुत दूर तक फैले 4 पर्वतों ने घेर रखा है। 1. पूर्व में मंदराचल, 2. दक्षिण में गंधमादन, 3. पश्चिम में विपुल और 4. उत्तर में सुपार्श्व। इन पर्वतों की सीमा इलावृत के बाहर तक है।

सुमेरू के पूर्व में शीताम्भ, कुमुद, कुररी, माल्यवान, वैवंक नाम से आदि पर्वत हैं। सुमेरू के दक्षिण में त्रिकूट, शिशिर, पतंग, रुचक और निषाद आदि पर्वत हैं। सुमेरू के उत्तर में शंखकूट, ऋषभ, हंस, नाग और कालंज आदि पर्वत हैं।

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Answered by anshnidhi2020
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हिमालय भारत में स्थित एक प्राचीन पर्वत श्रृंखला है | हिमालय को पर्वतराज कहते हैं जिसका अर्थ है पर्वतों का राजा |। कालिदास तो हिमालय को पृथ्वी का मानदंड मानते हैं ।हिमालय की पर्वतश्रंखलाएँ शिवालिक कहलाती हैं ।सदियों से हिमालय की कन्दराओं(गुफाओं) में ऋषि-मुनियों का वास रहा है और वे यहाँ समाधिस्थ होकर तपस्या करते हैं । हिमालय आध्यात्म चेतना का ध्रुव केंद्र है।वाइब्रेंट पाॅवर हाउस ऑफ स्प्रिचुअल एनर्जी है यह। उत्तराखंड को श्रेय जाता है इस "हिमालयानाम् नगाधिराजः पर्वतः" का हृदय कहाने का। ईश्वर अपने सारे ऐश्वर्य- खूबसूरती के साथ वहाँ विद्यमान है। 'हिमालय अनेक रत्नों का जन्मदाता है ( अनन्तरत्न प्रभवस्य यस्य), उसकी पर्वत-श्रंखलाओं में जीवन औषधियाँ उत्पन्न होती हैं ( भवन्ति यत्रौषधयो रजन्याय तैल पुरत सुरत प्रदीपः), वह पृथ्वी में रहकर भी स्वर्ग है।( भूमिर्दिवभि वारूढं)। हिमालय एक पर्वत तन्त्र है जो भारतीय उपमहाद्वीप को मध्य एशिया और तिब्बत से अलग करता है। यह पर्वत तन्त्र मुख्य रूप से तीन समानांतर श्रेणियां- महान हिमालय, मध्य हिमालय और शिवालिक से मिलकर बना है जो पश्चिम से पूर्व की ओर एक चाप की आकृति में लगभग 2400 कि॰मी॰ की लम्बाई में फैली हैं।[2] इस चाप का उभार दक्षिण की ओर अर्थात उत्तरी भारत के मैदान की ओर है और केन्द्र तिब्बत के पठार की ओर। इन तीन मुख्य श्रेणियों के आलावा चौथी और सबसे उत्तरी श्रेणी को परा हिमालय या ट्रांस हिमालय कहा जाता है जिसमें कराकोरम तथा कैलाश श्रेणियाँ शामिल है। हिमालय पर्वत 7 देशों की सीमाओं में फैला हैं। ये देश हैं- पाकिस्तान,अफगानिस्तान , भारत, नेपाल, भूटान, चीन और म्यांमार।
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