Psychology, asked by poojakumar4742, 10 months ago

आप ‘ पर्यावरण ‘ पद से क्या समझते हैं? मानव - पर्यावरण संबंध को समझने के लिए विभिन्न परिप्रेक्ष्यों की व्याख्या कीजिए I

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Answered by sarayu56
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भारत में पर्यावरण की कई समस्या है। वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, कचरा, और प्राकृतिक पर्यावरण के प्रदूषण भारत के लिए चुनौतियों हैं। पर्यावरण की समस्या की परिस्थिति 1947 से 1995 तक बहुत ही खराब थी। 1995 से २०१० के बीच विश्व बैंक के विशेषज्ञों के अध्ययन के अनुसार, अपने पर्यावरण के मुद्दों को संबोधित करने और अपने पर्यावरण की गुणवत्ता में सुधार लाने में भारत दुनिया में सबसे तेजी से प्रगति कर रहा है। फिर भी, भारत विकसित अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के स्तर तक आने में इसी तरह के पर्यावरण की गुणवत्ता तक पहुँचने के लिए एक लंबा रास्ता तय करना है। भारत के लिए एक बड़ी चुनौती और अवसर है। पर्यावरण की समस्या का, बीमारी, स्वास्थ्य के मुद्दों और भारत के लिए लंबे समय तक आजीविका पर प्रभाव का मुख्य कारण हैं।
Answered by TbiaSupreme
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"पर्यावरण शब्द का अर्थ बहुत व्यापक है।  पर्यावरण शब्द का मतलब हमारे चारों तरफ जो कुछ भी है पर्यावरण है। पर्यावरण में सब कुछ निहित है यह धरती-आकाश, पेड़-पौधे, जीव-जंतु, पानी-वायु, नदी-पहाड़, गांव-नगर, जंगल आदि। हमारे आस-पास जो तंत्र है जिस पर प्रकृति टिकी हुई है वह पर्यावरण ही है। कह सकते हैं कि व्यक्ति के बाहर जो कुछ है जिससे व्यक्ति अनुक्रिया करता है। जिसमें वो अनुरक्त रहता है वो  पर्यावरण ही है।  

मानव और पर्यावरण के संबंधों  पर अनेक दृष्टिकोण है जो कि इस बात पर निर्भर करते हैं मानव उनका प्रत्यक्षण किस रूप में करता है। यहां हम तीन बिंदुओं पर चर्चा करते हैं।

(क) अल्पमतवादी परिप्रेक्ष्य (Minimalist Perspective)- इस मत का सार यह है कि भौतिक पर्यावरण मानव के व्यवहार, स्वास्थ्य एवं शरीर पर न्यूनतम एवं नगण्य प्रभाव डालता है।  भौतिक पर्यावरण एवं मानव का अस्तित्व एक समानांतर घटक के रुप में साथ-साथ चलता है।

नैमित्तिक परिप्रेक्ष्य (Instrumental Perspective)-इस मत का सार यही है कि भौतिक पर्यावरण का अस्तित्व ही मनुष्य के सुख एवं कल्याण के लिए ही है और पूरे पर्यावरण पर मनुष्य का वर्चस्व इसी सिद्धांत को प्रतिपादित करता है।

आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य (Spiritual Perspective)- ये मत मानव और पर्यावरण के संबंध की महत्ता को इंगित करता है। इस मत के अनुसार मानव का अस्तित्व तभी तक रहेंगा जब तक वो पर्यावरण को स्वस्थ, संतुलित, मजबूत और प्राकृतिक रखेगा।

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