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what is the summary of the poem nitivachan????????
तुलसी मीठे वचन से, सुख उपजत चहुँ ओर ।
वसीकरण एक मंत्र है, तजि दे वचन कठोर ।।
काAHEEM तोर देना वादाशतरर क
में कर लेत
तुलसी इह संसार में, भाँति-भाँति के लोग ।
देशों के साथ मेले मारबराती
सबसों हिल-मिल चालिए, नदी-नाव संजोग ||
- बरपा से उम्सा मनसः जमीन
का बरषा जब कृषि सुखाने जाना ।
समय चूकि पुनि का पछिताने ।।
नमय होटी यो नाम कर लता
जहाँ सुमति तहँ संपत्ति नाना ।
जहाँ कुमति तहँ विपत्ति निदाना ।।
अापमा परि गाव
कायर मन कहुँ एक अधारा ।
देव-दैव आलसी पुकारा ।। भाव
नगालोमा हावाको
परहित सरिस धरम, नहिं भाई ।
पर पीड़ा सम नहिं अधमाई ।।
चरन चोंच लोचन रंग्यो, चलै मराली चाल ।
सीर-नीर बिबरन समय, वक उघरत तेहि काल ।।
- गोस्वामी तुलसीदास
अधारा ।
न
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