आपातकाल लगाने का कौन सा कारण नहीं है pol.scince
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संविधान निर्माताओं ने आपातकाल जैसी स्थिति की कल्पना ऐसे वक्त को ध्यान में रखकर की थी, जिसमें देश की एकता, अखंडता और सुरक्षा खतरे में हो. इसी को ध्यान में रखकर कुछ ऐसे प्रावधान बनाए गए, जिसके तहत केंद्र सरकार बिना किसी रोक टोक के गंभीर फैसले ले सके.
उदाहरण के लिए अगर कोई पड़ोसी देश हम पर हमला करता है, तो हमारी सरकार को जवाबी हमले के लिए संसद में किसी भी तरह का बिल पास न कराना पड़े. चूंकि हमारे देश में संसदीय लोकतंत्र है, इसलिए हमारे देश को किसी भी देश से युद्ध करने के लिए पहले संसद में बिल पास कराना होता है. लेकिन आपात स्थितियों के लिए संविधान में ऐसे प्रावधान हैं, जिसके तहत केंद्र सरकार के पास ज्यादा शक्तियां आ जाती हैं और केंद्र सरकार अपने हिसाब से फैसले लेने में समर्थ हो जाती है. केंद्र सरकार को शक्तियां देश को आपातकालीन स्थिति से बाहर निकालने के लिए मिलती हैं.
संविधान में तीन तरह के आपातकाल का प्रावधान
भारतीय संविधान में तीन तरह के आपातकाल का जिक्र है.
राष्ट्रीय आपातकाल (नेशनल इमरजेंसी)
राष्ट्रपति शासन (स्टेट इमरजेंसी)
आर्थिक आपातकाल (इकनॉमिक इमरजेंसी