Hindi, asked by reddynarayan473, 5 months ago

आपको आपनी पाठशाला कैसे लगती है ?क्यों? ​

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Answered by durvamhatre257
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Answer:

here is your answer

Explanation:

पाठशाला, विद्यालय, स्कूल ... जहाँ हमारी ज़िन्दगी की कक्षा लगती है। दुनिया के मंच पर हमारी पहली दस्तक। संस्कार और सभ्यता का गुरुकुल। विद्यालय शायद सभी की ज़िन्दगी में अहम होते हैं। बहुत लोग शायद अपने शालेय जीवन को लेकर भावुक भी होते होंगे। पर मुझे हमेशा से लगता रहा कि मैं अपने स्कूल यानी केन्द्रीय विद्यालय को लेकर कुछ ज़्यादा ही भावुक हूँ। दीवानगी की हद तक। इस हद तक की इस भावुकता को बेशकीमती धरोहर मानकर उसे बहुत सावधानी से संजो कर रखा। जब जितना ज़रूरी हुआ उतना ही सतह पर आने दिया। ऐसे संभाला जैसे कि हम दिये की लौ को हवा से बचाते हैं। के वो पवित्र है। के वो इबादत के लिए है। के कोई भी नासमझी और उपहास का झोंका इसे हिला ना पाए।

हर कोई क्यों और कैसे समझेगा? वो स्कूल जिसने मुझे गढ़ा है, जिसकी कक्षाएँ और बरामदे धमनियाँ बनकर दौड़ते हों, जहाँ के अध्यापकों ने कुम्हार की तरह थपकी देकर आपको आकार दिया हो, जहाँ का मंच कर्मभूमि का योगेश्वर बनकर दुनिया के मंचों के लिए आपका पथ प्रशस्त करता हो, जहाँ के मैदान में चोट लगने के बाद बदन में समाई मिट्टी ख़ून के साथ ही रगों में दौड़ती हो ... उस स्कूल को अपने से बाहर निकालकर कैसे देखें और कैसे अभिव्यक्त करें?? शब्द कहाँ से लाएँ, किसे लेखनी बनाएँ?  

 

मेरे लिए अपनी पाठशाला का महत्व सिर्फ़ इसलिए नहीं है कि मैं पहली से बारहवी तक पूरे बारह साल यहाँ पढ़ा... ये हाड़-मज्जा से परे एक बालक के किशोर और फिर युवा हो जाने तक उसे पालने वाले गर्भ का मामला है। हाँ, हम माँ के गर्भ से निकलकर अपने स्कूल के गर्भ में ही तो जाते हैं!! जैसे माँ की कोख़ में हमारी जैविकी तय होती है वैसे ही विद्यालय की कोख़ में हमारी सांसारिकी तय होती है। जैसे गर्भावस्था में माँ की ख़ुराक और व्यवहार हमारे शरीर और मन का सृजन करते हैं वैसे ही हमारे अध्यापक, सहपाठी और विद्यालय का वातवरण उन बीजों का अंकुरण करते हैं। यहाँ का खाद पानी तय करता है कि आप कितने गहरे और कितने ऊँचे जाएँगे। आपके माता-पिता तो केवल ये तय करते हैं कि आप किस स्कूल में पढ़ेंगे... आपको कैसे शिक्षक और कैसे दोस्त मिलेंगे ये तो नियति ने पहले से तय कर रखा होता है। ... और ये सब कितना अद्भुत, कितना चमत्कारी और कितना रोमांचक होता है!! कैसे-कैसे संयोग। ग़जब की दोस्ती, खतरनाक झगड़े, नादानियाँ, शैतानियाँ, मसूमियत, ग़लतियाँ, सबक, पिटाई, स्नेह, मार्गदर्शन, ऊर्जा ... ये सब और बहुत कुछ, सब एक जगह, एक साथ।  

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