आपके अनुसार 'अनेकता में एकता' का विचार भारत के लिए कैसे उपयुक्त है? भारत की खोज किताब से लिए गए इस वाक्यांश में नेहरू भारत की एकता के बारे में क्या कहना चाह रहे हैं?
Answers
मेरे अनुसार 'अनेकता में एकता' का विचार भारत के लिए निम्न प्रकार उपयुक्त है -
भारत की विविधता को हमेशा उसकी ताकत के रूप में मान्यता दी गई है। स्वतंत्रता आंदोलनों के दौरान, विभिन्न सांस्कृतिक, धार्मिक और क्षेत्रीय पृष्ठभूमि के लोग एक साथ आए और ब्रिटिश शासन का विरोध करने के लिए संयुक्त स्वतंत्रता आंदोलन शुरू किया। एकता की इस ताकत ने ब्रिटिश लोगों के लिए भारत में लंबे समय तक सत्ता पर कब्जा करना मुश्किल बना दिया। साथ ही, समान राष्ट्रीय ध्वज का इस्तेमाल हर जगह अंग्रेजों के विरोध के साधन के रूप में किया गया था।
अपनी पुस्तक भारत की खोज 'द डिस्कवरी ऑफ इंडिया' में जवाहरलाल नेहरू कहते हैं कि '' भारतीय एकता बाहर से थोपी नहीं गई, बल्कि यह कुछ गहरी थी और इसकी तह में, विश्वास और रिवाज की व्यापक सहिष्णुता का अभ्यास किया गया और हर व्यक्ति ने स्वीकार किया और यहां तक कि प्रोत्साहित भी। इसलिए, भौगोलिक, भाषा और सांस्कृतिक अंतर होने के बावजूद, भारत के लोग एक-दूसरे की परंपराओं के साथ सम्मान के साथ एकता और शांति से रह रहे हैं।
आशा है कि यह उत्तर आपकी अवश्य मदद करेगा।।।।
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Explanation:
उत्तर: हमारे विचार से ‘अनेकता में एकता’ का विचार भारत के लिए बहुत उपयुक्त है। भारत की खोज किताब में जवाहर लाल नेहरू ने लिखा है कि भारतीय एकता बाहर से थोपी हुई चीज नहीं है, बल्कि “यह बहुत गहरी है जिसके अंदर अलग-अलग तरह के विश्वास और प्रथाओं को स्वीकार करने की भावना है। इसमें विविधता को पहचाना और प्रोत्साहित किया जाता है।” इन सारे तत्वों का वर्णन करते हुए उन्होंने ही ‘अनेकता में एकता’ के विचार से हमें अवगत कराया।
नेहरू जी के कहने का मतलब था कि भारत में एकता किसी बाहरी शक्ति द्वारा नही थोपी गई है। इसकी नींव बहुत गहरी है। अलग-अलग तरह के विश्वास और प्रथाओं को स्वीकार करने की भावना के कारण यह बहुत वर्षों में विकसित हुआ है। भारत हमेशा से विभिन्न सभ्यता और संस्कृति को अपनाता रहा है। सदियों से यहाँ के लोग विभिन्न तरह की आस्था में विश्वास रखते आ रहे हैं।