आपकी हिंदी की विषय अध्यापिका ने आपको 'आंध्रा प्रदेश के खाद्य पदार्थ ' विषय पर एक परियोजना कार्य (Project work) बनाने को दिया है ,तो अपने मित्र को परियोजना कार्य साथ-साथ बनाने को आग्रह करते हुए एक पत्र लिखें
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अनेक प्रकार के होते हैं। विषय, संदर्भ, व्यक्ति और स्थिति के अनुसार भिन्न-भिन्न प्रकार के पत्रों को लिखने का तरीका भी अलग-अलग होता है। आमतौर पर पत्र दो प्रकार के होते हैं-(क) अनौपचारिक पत्र (ख) औपचारिक पत्र।
(क) अनौपचारिक पत्र- इस तरह के पत्र नजदीकी या रिश्तेदार को लिखे जाते हैं। इसमें पत्र पाने वाले तथा लिखने वाले के बीच घनिष्ठ संबंध होता है। यह संबंध पारिवारिक तथा मित्रता का भी हो सकता है। ऐसे पत्रों को व्यक्तिगत पत्र भी कह सकते हैं। इन पत्रों की विषयवस्तु निजी व घरेलू होती है। इनका स्वरूप संबंधों के आधार पर निर्धारित होता है। इन पत्रों की भाषा-शैली में कोई औपचारिकता नहीं होती तथा इनमें आत्मीयता का भाव व्यक्त होता है।
(ख) औपचारिक पत्र- इस तरह के पत्रों में एक निश्चित शैली का प्रयोग किया जाता है। सरकारी, गैर-सरकारी संदभों में औपचारिक स्तर पर भेजे जाने वाले पत्रों को ‘औपचारिक पत्र’ कहा जाता है। इनमें व्यावसायिक, कार्यालयी और सामान्य जीवन-व्यवहार के संदर्भ में लिखे जाने वाले पत्रों को शामिल किया जाता है।
औपचारिक पत्रों के दो प्रकार होते हैं-
(i) सरकारी, अर्ध-सरकारी और व्यावसायिक संदभों में लिखे जाने वाले पत्र- इनकी विषयवस्तु प्रशासन, कार्यालय और कारोबार से संबंधित होती है। इनकी भाषा-शैली का स्वरूप निश्चित होता है। इनका प्रारूप भी प्राय: निश्चित होता है। सरकारी कार्यालयों, बैंकों और व्यावसायिक संस्थाओं द्वारा किया जाने वाला पत्र-व्यवहार इस वर्ग के अंतर्गत आता है। विभिन्न पदों के लिए लिखे गए आवेदन-पत्र भी इसी वर्ग में आते हैं।
(ii) सामान्य जीवन व्यवहार तथा अन्य विशिष्ट संदभों में लिखे जाने वाले पत्र- ये पत्र परिचित एवं अपरिचित व्यक्तियों को तथा विविध क्षेत्रों से संबद्ध अधिकारियों को लिखे जाते हैं। इनकी विषयवस्तु आम जीवन से संबद्ध होती है। इनके प्रारूप में स्थिति व संदर्भ के अनुसार परिवर्तन हो सकता है। इनके अंतर्गत शुभकामना-पत्र, बधाई-पत्र, निमंत्रण-पत्र, शोक संवेदना-पत्र, शिकायती-पत्र, समस्यामूलक पत्र, संपादक के नाम पत्र आदि आते हैं।
पत्र के अंग
पत्र का वर्ग कोई भी हो, उसके चार अंग होते हैं –
(i) पता और दिनांक (ii) संबोधन तथा अभिवादन (iii) पत्र की सामग्री या कलेवर (iv) पत्र को समाप्ति या समापन भाग
(i) पता और दिनांक
अनौपचारिक पत्र के बाई ओर ऊपर कोने में पत्र-लेखक का पता लिखा जाता है और उसके नीचे तिथि दी जाती है। औपचारिक पत्र में बाई ओर प्रेषक के विभाग का नाम, पता व दिनांक दिया जाता है। इसके बाद बायीं ओर ही प्राप्तकर्ता का नाम, पद, विभाग आदि दिया जाता है।
(ii) संबोधन तथा अभिवादन
दोनों तरह के पत्रों में पत्र पाने वाले के लिए किसी-न-किसी संबोधन शब्द का प्रयोग किया जाता है, जैसे-पूज्य/ आदरणीय/पूजनीय/प्रियवर/मान्यवर/महोदय/महोदया/श्रीमान आदि।
● औपचारिक पत्रों में संबोधन से पहले पत्र का विषय अवश्य लिखा जाता है।
अनौपचारिक स्थिति में