Political Science, asked by sohil83, 4 months ago

आपको कोई चीज इसलिए प्रिय है क्योंकि उसे आपने बनाया है क्या लोकतंत्र ऐसा है ही है उदाहरण सहित बताइए​

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Answered by priya77867
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जैसा कि स्पष्ट है कि भारत ने स्कूलिंग में निष्पक्षता एवं अभिगम्यता सुनिश्चित करने के मामले में अच्छा प्रदर्शन किया है। हालांकि एक औसत छात्र में ज्ञान का स्तर चिंता का विषय है। राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस) की पांचवी कक्षा के छात्रों की एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक पढ़ पाने की समझ से जुड़े प्रश्नों के आधे से अधिक प्रश्नों के सही जवाब दे पाने वाले छात्रों का प्रतिशत केवल 36% था एवं इस संबंध में गणित एवं पर्यावरण अध्ययन का आंकड़ा क्रमशः 37% एवं 46% है।

विद्यालयों में शिक्षा की गुणवत्ता के स्तर को सुधारने के लिये केंद्र एवं राज्य दोनों सरकारें नवीन व्यापक दृष्टिकोणों एवं रणनीतियों को बना रहे हैं। कुछ विशेष कार्यक्षेत्रों की बात करें तो अध्यापकों, कक्षा कक्ष में अपनाई जाने वाली कार्यविधियों, छात्रों में ज्ञान के मूल्यांकन एवं निर्धारण, विद्यालयी अवसंरचना, विद्यालयी प्रभावशीलता एवं सामाजिक सहभागिता से संबंधित मुद्दों पर कार्य किया जाना है।

अध्यापक

जहां बच्चे विद्यालयी शिक्षा का केंद्र होते हैं, बच्चों में ज्ञानार्जन सुनिश्चित करने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका एक अध्यापक की होती है। सर्व शिक्षा अभियान की शुरुआत के साथ ही आरम्भिक कक्षाओं में अध्यापकों के 19.48 लाख पदों का सृजन किया गया है इन पदों के लिये अध्यापकों की नियुक्ति से छात्र-शिक्षक अनुपात में 42:1 से 24:1 का सुधार हुआ है। यद्पि अब भी ऐसे विद्यालय हैं जिनमें अध्यापक केवल एक हो या उनकी संख्या अपर्याप्त हो। इसके लिये राज्य सरकारों को अध्यापकों के एक समान वितरण के लिये नियोजन करने की आवश्यकता है एवं सेवानिवृत्त होने वाले अध्यापकों के स्थान पर दक्ष अध्यापकों की नियुक्ति के लिये एक वार्षिक कार्यक्रम रखा जाना चाहिये।

वर्तमान में सरकारी विद्यालयों में नियमित अध्यापकों में से 85% व्यावसायिक रूप से योग्यता संपन्न हैं। 20 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों में सभी अध्यापकों के पास अपेक्षित योग्यता है। सरकार आगामी 2-3 वर्षो तक शेष 16 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के सभी अध्यापकों का पूर्णतया दक्ष होना सुनिश्चित करने के लिये तमाम कदम उठा रही है। मंत्रालय द्वारा वर्ष 2013 में करवाए गए एक अध्ययन के परिणामों के अनुसार, अध्यापकों की औसत उपस्थिति लगभग 83% थी। इसको बढ़ोतरी कर 100% तक लाने की आवश्यकता है।

सर्व शिक्षा अभियान एवं राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान योजनाओं, दोनों में अध्यापकों के ज़रूरत आधारित व्यावसायिक विकास के कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इन प्रयासों को पूरा करने के लिये ऑनलाइन कार्यक्रमों की योजना भी है।

ज़रूरत है कि विद्यालयी तंत्र प्रतिभाशाली युवाओं को अध्यापन के क्षेत्र में लाए, राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद ने चार वर्षीय समेकित बीए-बीएड एवं बीएससी-बीएड कार्यक्रमों की शुरुआत की है एवं श्रेष्ठ विद्यालयी तंत्र के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में ईमानदारी से रूचि रखने वालों का ध्यान आकर्षित करने के लिये इन कार्यक्रमों का प्रचार-प्रसार करने की आवश्यकता है।

कक्षा कक्ष में अपनाई जाने वाली कार्यविधियां

बच्चों में ज्ञान की समझ विकसित करने, कक्षा कक्ष प्रबंधन, प्रभावी छात्र शिक्षक संवाद, एवं निर्देशों की उत्तमता; संरचित अध्यापन एवं सीखने पर ज़ोर देने वाली गतिविधियों के दृष्टिकोण से इन कार्यविधियों का सर्वाधिक महत्व है। इसके लिये छात्रों एवं अध्यापकों की कक्षा कक्ष में नियमित उपस्थिति पूर्वप्रतिबंध है। आईसीटी समर्थित शिक्षण और अधिगम के संदर्भ में सीखने की प्रक्रिया के परिणामों में स्पष्ट रूप से प्रत्येक कक्षा और प्रत्येक विषय के लिए संभावित शिक्षण परिणामों पर विशेष रूप से ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है ताकि यह शिक्षकों, विद्यालय प्रमुखों के द्वारा आसानी से समझा जा सके और इसे माता-पिता और समुदाय के बीच व्यापक रूप से प्रचारित किया जा सके।

समझ के साथ पठन के लिए अध्ययन के महत्व पर बल देने के एक प्रारूप के साथ वर्ष 2014 में सरकार के द्वारा शुभारंभ किए गए पढ़े भारत बढ़े भारत हेतु मजबूत बुनियाद की आवश्यकता को स्वीकार किया गया है। गणित, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के अध्ययन को रोचक और लोकप्रिय बनाने के क्रम में सरकार ने 2015 में राष्ट्रीय अविष्कार अभियान का शुभारंभ किया। इस पहल के माध्यम से विद्यालयों के पास आईआईटी और एनआईटी जैसे संस्थानों से परामर्शदाता के तौर पर अनुभव प्राप्त करने के अवसर होते हैं। हाल ही में प्रारंभ किए गये अटल अभिनव अभियान और अटल टिंकरिंग लैब से छात्रों के बीच महत्वपूर्ण विश्लेषण, सृजनात्मकता और समस्या को सुलझाने जैसी गतिविधियों को बल मिलेगा।

देश के सभी सरकारी माध्यमिक विद्यालयों को आईसीटी से लैस किया जा रहा है ताकि बच्चों को पढ़ाने में आईसीटी का लाभ लिया जा सके और उनमें सूचना प्रौद्योगिकी से जुड़ी साक्षरता में भी सुधार किया जा सके। द नेशनल रिपोजिटरी ऑफ ओपन एजुकेशनल रिसोर्सिस (एनआरओईआर) और हाल ही में प्रारंभ किया गया ई-पाठशाला विद्यालय शिक्षा और शिक्षक शिक्षा के सभी स्तरों पर सभी डिजिटल और डिजिटल योग्य संसाधनों को एक साथ एक मंच पर ला रहा है।

मूल्यांकन और आकलन

एक छात्र की अध्ययन प्रगति का आकलन करना शिक्षक की प्राथमिक भूमिकाओं में से एक है। कक्षा में छात्रों के नियमित और निरंतर मूल्यांकन से अभिप्राय बच्चों और माता-पिता को प्रतिक्रिया देना, शिक्षक को प्रतिक्रिया और बच्चों के बीच अध्ययन समस्याओं के समाधान के लिए हल निकालना है। अध्ययन मूल्यांकन तंत्र पर आधारित एक शैक्षिक वातावरण वाली कक्षा में ये सुनिश्चित किया जा सकता है कि शिक्षक और छात्र दोनों ही सीखने पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।

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