Hindi, asked by Aasir080906, 9 months ago

आपके किसी सैर के बारे में लिखे। I want short essay on it

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Answered by dipankarkurmi17
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Mari Assam yatra

Assam jana ki jahat mara man main bashpan saihi thi, jab pitaji na pataya ki isbar chuttio main ham Assam ja raha hain toh mara man khusi sain jhoom utha, main maa aur pitaji nai nayi dilli sain guwahatitaki yatra trainsahiki uska bad guwahati main hamna kagiranga, chiriyakhana, scince mugiwam adi dakha waha hamna vin vin prakarka bastu dakha gaysa kagiranga main hamna hati aur ghora kisabari ki pahla toh mugha bohot dar lagraha tha par akabar uthna ka dath mugha bohot maga lagna laga. ush rat hamnai hotail maihi bitaya fir suvha hamna nasta kiya aur klakhatra gana ka liya nikal para yoha hmnai vin vin prakar ki prachin murtiya aur bastu dakha, guwahati gana ka asli maga toh ham nain akolamd main hi uthaya yoha ham nain bohot mog masti ki hamari garmi ki chuttiya khatma horahi thi aur hamain tai samain pay lothna tha isliya ham agli suvha ghar kaliya rawana ho gawa, mugha abvhi lagta hain ki yoha aur bohott kuch hain joham nahi takh paya,

Apka pash vhi samain hoto ap akbar guwahati garur gayaga.

Hindi main nalikhna kailiya mafkar daina

Answered by Anonymous
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 \huge \text{Answer..}

मेरी अविस्मरणीय दिल्ली यात्रा

मैं मुंबई में रहता हूँ। लेकिन दिल्ली देखने की बड़ी इच्छा थी। एक दिन दिल्ली जाने का संयोग बन गया। मेरे कुछ मित्र दिल्ली किसी आवश्यक कार्य से जा रहे थे तो मैं भी उनके साथ दिल्ली चला आ गया। ताकि दिल्ली के दर्शन कर सकूं। मैंने दिल्ली की सर्दी और दिल्ली के खाने के बारे में सुना था। हम लोग राजधानी एक्सप्रेस से दिल्ली सुबह 8 बजे तक दिल्ली पहुंच गए।

दिसंबर का महीना था। दिल्ली में कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। सबसे पहले हम पहाड़गंज में एक होटल में रुके और फ्रेश होकर दिल्ली घूमने का प्रोग्राम बनाने लगे। मेरे दो मित्रों को कोई आवश्यक सरकारी कार्य था वे लोग अपने कार्य से चले गए। एक मित्र मेरे साथ रह गये। हम लोग सबसे पहले एक ट्रेवल एजेंसी में गए। वहां पर हमने दिल्ली दर्शन की इच्छा जताई। सब कुछ तय हो जाने के बाद उन्होंने हमें एक मिनी बस में बैठा दिया।

दिल्ली की चौड़ी-चौड़ी सड़कें देखकर मेरा मन खुश हो गया। मुंबई में ऐसी चौड़ी सड़कें देखने को कम मिलती हैं। दिल्ली में चारों तरफ हरियाली ही हरियाली थी और फ्लाईओवर का तो जाल बिछा हुआ था। मेट्रो का भी जाल सा बिछा हुआ। मुझे किसी ने बताया कि अब दिल्ली के चप्पे-चप्पे पर पहुँचने के लिये मेट्रो का जाल बिछा हुआ है।

ट्रैवल एजेंसी वाला सबसे पहले हमें लाल किला ले गया। फिर हम लोग चांदनी चौक पहुँचे। वहाँ पर शीशगंज गुरुद्वारे में मत्था टेका और लंगर भी खाया। उसके बाद हम लोग नई दिल्ली में इंडिया गेट, राष्ट्रपति भवन, संसद भवन देखे। हम बिरला मंदिर भी गए। सफदरजंग का मकबरा, हुमायूँ का मकबरा और निजामुद्दीन दरगाह ले जाया गया। वहाँ से चिड़ियाघर देखते हुए आगे बढ़ते-बढ़ते सबसे आखिर में हमें कुतुब मीनार ले जाया गया। कुतुबमीनार देखकर मन खुश हो गया। तब तक शाम हो चुकी थी। शाम को हमने कनाट प्लेस के होटल दिल्ली का पारंपरिक खाना खाया। घूमते समय हमने रास्ते में दिल्ली के प्रसिद्ध छोले भटूरों का भी आनंद लिया था। रात को हम होटल लौट आये। अगली सुबह हमारी ट्रेन थी। हमारे दोनो मित्र भी अपना कार्य पूरा करके आ गये थे। पूरे एक दिन में दिल्ली में अच्छी तरह से घूमना संभव नहीं था, लेकिन हम मुख्य-मुख्य जगह घूम लिए और अगली यात्रा में आराम कई दिनों तक दिल्ली में घूमने का इरादा करके वापस मुबंई लौट आये।

वास्तव में दिल्ली की मेरी ये पहली यात्रा अविस्मरणीय रही।

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