आपके क्षेत्र में भूमि प्रदूषण के क्या कारण है लिखे? 100 शब्दों में या फिर 150 शब्दों में ?
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पृथ्वी के धरातल के एक-चौथाई भाग पर भूमि है किंतु उसमें मानव उपयोग की भूमि केवल 280 लाख वर्ग मील (448 लाख वर्ग कि.मी. है) । इस भूमि का समुचित एवं सही उपयोग आज संपूर्ण विश्व का उत्तरदायित्व है, किंतु विश्व में हो रही जनसंख्या वृद्धि से भूमि उपयोग में विविधता एवं सघनता आई है ।
फलस्वरूप उसका अनुपयुक्त तरीके से उपयोग किया जा रहा है । परिणामस्वरूप ‘भू-प्रदूषण’ की समस्या का जन्म हुआ है जो आज विश्व के अनेक भागों में एक प्रमुख समस्या बन गई है । ‘भूमि’ अथवा ‘भू’ एक व्यापक शब्द है, जिसमें पृथ्वी का संपूर्ण धरातल समाहित है, किंतु मूल रूप से भूमि की ऊपरी परत, जिस पर कृषि की जाती है एवं मानव जीविका उपार्जन की विविध क्रियायें करता है, वह विशेष महत्व की है ।
इस परत अथवा भूमि का निर्माण विभिन्न प्रकार की शैलों से होता है जिनका क्षरण मृदा को जन्म देता है जिसमें विभिन्न कार्बनिक एवं अकार्बनिक यौगिकों का सम्मिश्रण होता है । वहीं से भू-प्रदूषण का प्रारंभ होता है । इसे पारिभाषिक रूप में हम कह सकते हैं- ”भूमि के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में ऐसा कोई अवांछित परिवर्तन जिसका प्रभाव मनुष्य एवं अन्य जीवों पर पड़े या भूमि की प्राकृतिक गुणवत्ता तथा उपयोगिता नष्ट हो भू-प्रदूषण कहलाता है ।”