Science, asked by rishabhrajput92, 7 months ago

आपको मजदूर और पूंजीपतियों के बीच आवाज के क्या कारण लगते हैं संक्षेप में लिखेंरूसी क्रांति से पूर्व ही समाज के सामाजिक राजनीतिक दशा कैसी थी ​

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Answered by shreyamishra8374
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कोरोना संकट से निपटने के लिए लगाए गए लॉकडाउन ने हमें अन्य अनेक बातों के साथ यह भी सिखाया है कि जनगणना के आंकड़ों से बाहर निकलकर मजदूरों का एक बड़ा समूह कैसे हमारे जनतंत्र के अनेक दरवाजों की सांकल खटखटा रहा है? इस सामाजिक समूह का चेहरा-मोहरा, दुख-दर्द, संघर्ष कैसा है, इसे आज भारत की जनता बहुत अच्छे से देख रही है।

भारत में प्रवासी मजदूर एक सामाजिक समूह हैं

भारत में प्रवासी मजदूर एक छितरी-बिखरी जनसंख्या भले हों, किंतु बिखरे होने के बावजूद वे एक सामाजिक समूह हैं। उन सबके भीतर एक ही प्रकार का सामाजिक भाव है और यही उन्हेंं एक सामाजिक समुदाय में रूपांतरित करता है। प्रवासी मजदूरों का जिक्र भारतीय इतिहास में शुरू से होता रहा है, किंतु अभी तक या तो इन्हें मात्र श्रमिक मानकर एक समरूपी समूह के रूप में देखा जाता रहा या मात्र जनगणना के आंकड़ों में दर्ज कर छोड़ दिया जाता रहा। अब वे एक बड़ी संख्या में तब्दील हो गए हैं।

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