आपको मजदूरों और पूंजीपतियों के बीच संघर्ष के क्या कारण लगते हैं संक्षेप में लिखिए
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पूँजीपतियों और मजदूरों के बीच संघर्ष के कारण...
पूँजीपतियों और मजदूरों के बीच संघर्ष का सबसे प्रमुख कारण पूंजीपतियों द्वारा मजदूरों का शोषण किया जाना है।
पूंजीपति हमेशा साधन संपन्न होते हैं। वह अपना कोई भी कार्य स्वयं नहीं करते। पूंजीपति जमीदार हैं, फैक्ट्रियों के मालिक हैं या बड़े बड़े व्यापारी हैं। जिन्हें अपने कार्यों की पूर्ति के लिए मानव श्रम की आवश्यकता होती है। उनके पास धन है, साधन है, इसलिए वह धन और साधन के बल पर मानव श्रम के रूप में मजदूरों को माध्यम बनाते हैं।
मजदूर जो अभावग्रस्त होते हैं, सुविधाहीन हैं। उनकी अपनी-अपनी मजबूरियां हैं। पूंजीपति इन मजबूरियों का लाभ उठाते हैं और उनसे अपना मनचाहा काम कराते हैं।
पूँजीपतियों का उद्देश्य कम से कम पैसों में अधिक से अधिक लाभ कमाना होता है, उन्हें मजदूरों के हितों की कोई चिंता नही होती।
मजदूर लोग जो भी कार्य करते हैं, उनको उस परिश्रम के अनुसार परिश्रमिक नहीं मिलता, जो मजदूरों में आक्रोश का कारण बनता है और मजदूर अपने अधिकार की लड़ाई के लिए विद्रोह करने को उतारू होते हैं।
पूंजीपति धन और ताकत के मद में चूर होकर मजदूरों की नहीं सुनते। उन्हें लगता है मजदूर विवश होकर उनकी बात मानेंगे ही और वे मजदूरों की मांगों को पूरा नहीं करते।
मजूदरों का अभावग्रस्त जीवन और मजबूरियां तथा पूँजपतियों का शोषण और अहंकार दोनों पक्षों के बीच संघर्ष का कारण बनता है।
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Answer:
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