आपके मन में उत्पन होने वाले यक्ष जैसे पांच प्रशन लिखिए
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पांडवजन अपने तेरह-वर्षीय वनवास के दौरान वनों में विचरण कर रहे थे। तब उन्होंने एक बार प्यास बुझाने के लिए पानी की तलाश की। पानी का प्रबंध करने का जिम्मा प्रथमतः सहदेव को सौंप गया। उन्हें पास में एक जलाशय दिखा जिससे पानी लेने वे वहां पहुंचे।
जलाशय के स्वामी अदृश्य यक्ष ने आकाशवाणी के द्वारा उन्हें रोकते हुए पहले कुछ प्रश्नों का उत्तर देने की शर्त रखी। सहदेव उस शर्त और यक्ष को अनदेखा कर जलाशाय से पानी लेने लगे। तब यक्ष ने सहदेव को निर्जीव कर दिया। सहदेव के न लौटने पर क्रमशः नकुल, अर्जुन और फिर भीम ने पानी लाने की जिम्मेदारी उठाई। वे उसी जलाशय पर पहुंचे और यक्ष की शर्तों की अवज्ञा करने के कारण निर्जीव हो गए।
अंत में चिंतातुर युधिष्ठिर स्वयं उस जलाशय पर पहुंचे। अदृश्य यक्ष ने प्रकट होकर उन्हें आगाह किया और अपने प्रश्नों के उत्तर देने के लिए कहा। युधिष्ठिर ने धैर्य दिखाया। उन्होंने न केवल यक्ष के सभी प्रश्न ध्यानपूर्वक सुने अपितु उनका तर्कपूर्ण उत्तर भी दिया जिसे सुनकर यक्ष संतुष्ट हो गया। संतुष्ट होने के बाद यक्ष ने क्या किया और क्या थे वे प्रश्न जानिए अगले पन्ने पर...हालांकि प्रश्न तो और भी है लेकिन यहां कुछ ही दिए गए हैं।
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यक्ष प्रश्न: जीवन का उद्देश्य क्या है?
यक्ष प्रश्न: जन्म का कारण क्या है?
यक्ष प्रश्न: जन्म और मरण के बन्धन से मुक्त कौन है?
यक्ष प्रश्न:- वासना और जन्म का सम्बन्ध क्या है?
यक्ष प्रश्न: संसार में दुःख क्यों है?
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