Hindi, asked by sarab08, 6 hours ago

आपका सपना पूरा होने की खुशी पर 100 से 120 शब्दों में लघु कथा लिखिए​

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Answered by supriyalalit20
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Answer:

चौथी कक्षा की हिंदी की क्लास चल रही थी। शिक्षक ने बच्चों से ‘मेरा सपना’ विषय पर निबंध लिखने को कहा। सभी बच्चों ने अपने-अपने हिसाब से निबंध लिखे। किसी का सपना इंजीनियर बनने का था तो किसी का डॉक्टर। किसी को नृत्य में महारत हासिल करनी थी तो किसी को गायन में। हर बच्चा कुछ बड़ा करने का ही सपना देख रहा था। टीचर हर बच्चे का निबंध चेक कर रहीं थी। एक बच्ची ने लिखा था कि वो बड़े होकर खूब पैसा कमाना चाहती हैं, ताकि उन पैसों से एक बस ख़रीदे। टीचर की समझ में नहीं आया कि ये बच्ची बस खरीदकर क्या करेगी? लेकिन जैसे ही टीचर ने आगे निबंध पढ़ा, उनकी आंखें नम हो गई।

नन्हीं बच्ची ने लिखा था- ''मेरे पापा के पास कार हैं। उसमें सिर्फ़ चार ही लोग बैठ सकते हैं। इसलिए कहीं भी जाना रहता हैं तो मेरे मम्मी-पापा और हम दोनों बहन-भाई ही जाते हैं। मेरे दादा-दादी घर पर ही रहते हैं। मेरे दादा-दादी बहुत अच्छे हैं। वे मुझसे बहुत प्यार करते हैं। मैं भी उन्हें बहुत प्यार करती हूँ। जब भी हम चारों घूमने जाते हैं तब उन दोनों का चेहरा उदास हो जाता हैं। मुुुुझेे लगता हैैं कि दादाजी और दादीजी भी हमारे साथ घुमने चले। पापा कहते हैं कि उन दोनों में से एक व्यक्ति की तो कार में जगह हो सकती हैं, लेकिन दोनों की जगह नहीं हो सकती। अब दोनों में से किसको बैठाएं और किसको छोड़े...इसलिए दोनों को ही छोड देते हैं! बस इसलिए मैं पैसा कमाकर बस खरीदना चाहती हूं।''

Answered by chandrakalarajput070
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लघुकथा (खुशी)

बहुत पुरानी बात है, दूर कि‍सी देश में एक छोटी सी राजकुमारी रहती थी, बहुत सुंदर बहुत चंचल. राजा-रानी की वह इकलौती संतान थी. प्रजा की भी आंख का तारा थी वह राजकुमारी. महल भर में उसकी कि‍लकारि‍यां गूंजतीं रहतीं और साथ-साथ दासि‍यों के हंसने की आवाजें भी हवा में तैरतीं रहतीं.

न जाने भाग्‍य में क्‍या बदा था कि,‍ एक दि‍न, राजकुमारी बीमार पड़ गई. राजवैद्य ने हर प्रयास कर देख लि‍या, राज्‍यभर से हर तरह के दूसरे वैद्य भी बुलाए गए पर राजकुमारी की बीमारी का हल न नि‍कला. राजकुमारी की हंसी न जाने कहां खो गई थी. वह उदास रहने लगी. उसकी खि‍लखि‍लाहटें जाती रहीं. वह अब खेलती भी न थी. उसे खाने-पीने में भी रूचि‍ न रही, उसकी भूख तो जैसे सदा के लि‍ए ही मर गई थी. महल में खि‍न्‍नता छाई रहने लगी, राज्‍य में अब उत्‍सव भी न होते थे. चारों ओर बस उदासी ही उदासी दि‍खई देती थी. राज्‍य की प्रजा दुखी थी.

एक दि‍न राजकुमारी महल में, कमरे की खि‍ड़की के पास बैठ उदास नजरों से यूं ही बाहर देख रही थी कि‍ अचानक, हवा का एक ठंडा सा झोंका आया और तभी उसने देखा कि‍ बाहर बगीचे में उसके ही जैसी एक छोटी सी बच्‍ची हाथ में फूल लि‍ए हंसते-खि‍लखि‍लाते ति‍तलि‍यों के पीछे भाग-दौड़ रही है. राजकुमारी ने आंखें बंद कर लीं और उसने एक गहरी सांस ली. उसके चेहरे पर एक हल्‍की सी मुस्‍कान तैर गई. अगले ही पल उसने आंखें खोलीं तो उसके चेहरे पर पहले सी ही खुशी लौट आई थी.

यह ख़बर महल और प्रजा में आग की तरह फैल गई. राज्‍यभर की खुशि‍यां लौट आई थीं.

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