आपकी दृष्टि में कन्या के साथ दान की बात करना कहां तक उचित है
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हमारी दृष्टि में आज के समय में कन्यादान में कन्या के साथ दान की बात करना उचित नहीं है, ना ही यह आज के समय में प्रासंगिक है।
आज आधुनिक है। प्राचीन काल में नारी को हेय दृष्टि से समझा जाता था और कन्या को संपत्ति के समान समझा जाता था तथा उसे किसी को भी दान कर दिया जाता था। इसलिये कन्या के विवाह की समय कन्यादान की परंपरा विकसित हुई।
पुरुष प्रधान समाज में पुरुष ही श्रेष्ठ माना जाता रहा है और शादी के बाद लड़की ही लड़के के साथ लड़के के घर रहने को जाती है। इसलिए कन्या के दान की परंपरा चल उठी। लेकिन आज समय बदल चुका है। आज लड़का और लड़की समान स्तर पर रहते हैं। लड़कियां भी अपने पैरों पर खड़ी हो गई है। एकल परिवार का प्रचलन बढ़ने के कारण अब पुरुष और महिला दोनों समान रूप से घर के निर्माण में भागीदार होते हैं। दोनों साथ मिलकर रहते हैं, साथ कमाते हैं और घर को साथ मिलकर संभालते हैं। इसलिए यह कहना उचित नहीं होगा कि लड़की पुरुष के घर ही रहने को जाती है। अतः कन्या का दान करना कहना आज के समय में उचित नहीं होगा।
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