आपके दादा-दादी के द्वारा दी गई थी का एक लघु कथा बनाइए
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हम बचपन में अपने दादा-दादी, नाना-नानी और परिवार के अन्य बड़े सदस्यों से कहानियां सुना करते थे और उन्हें सुनकर बड़े हुए। उन कहानियों के साथ हम एक काल्पनिक यात्रा पर निकल पड़ते थे। वे बड़े अच्छे दिन थे जब नानी हमें बीरबल की बुद्धि, पांडवों की धार्मिकता, विक्रम और बेताल की कहानियां सुनाया करती थीं।
उन कहानियों से हमें जीवन के कुछ महत्वपूर्ण सबक सीखने में मदद मिली, लेकिन बढ़ती टेक्नोलॉजी ने हमारे जीवन के हर पहलू पर वार किया है। आज का सामाजिक ढांचा बदल गया है। अब जॉइंट फैमेली नहीं रह गई है, एकल परिवारों का चलन है और माता-पिता दोनों कामकाजी हैं तो बच्चों को कहानी कौन सुनाए? अब सब टेक्नोलॉजी पर निर्भर हो गए हैं। लेकिन हम आपको यहां बता रहे हैं कहानी कहने के लाभ-
बच्चों का शब्दकोश बढ़ता है : कहानी कहने का एक बड़ा लाभ यह है कि कहानियों को सुनकर बच्चों की शब्दावली बढ़ती है। उनको कुछ समझ नहीं आता तो वे पूछ्ते हैं कि इसका क्या मतलब है? इस प्रकार वे नए-नए शब्द सिखते हैं और फिर ज़रूरत पड़ने पर यूज़ करते हैं। डिजिटल मीडिया पर बच्चे कहानियां सुन तो लेते हैं पर उनके मन में अगर कोई प्रश्न आता है तो उसका समाधान उन्हें नहीं मिल पाता। जब आप उन्हें उस शब्द का मतलब बताएंगे और एक-दो उदाहरण देंगे तो वह बात बच्चे की स्मृति में लंबे समय के लिए रह जाती है।
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