Hindi, asked by s15307ckruthi09316, 2 months ago

आपके द्वारा की गई किसी यात्रा के अनुभव का
वर्णन कीजिए |आपके द्वारा की गई किसी यात्रा के अनुभव का वर्णन कीजिए ​

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Answered by yogitasharma65
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भूमिका- गर्मी की छुट्टियां अपने साथ ढेर सारी खुशियाँ और कहीं घुमने जाने का अवसर लेकर आती है। हर साल की तरह इस साल भी हम अपने परिवार के साथ किसी यात्रा की योजना बना रहे थे कि तभी हमारे किसी जानकार ने हमें उत्तर भारत में स्थित पर्वतीय स्थल हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला की यात्रा का सुझाव दिया। शिमला को अंग्रेज़ों के द्वारा भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी भी घोषित किया गया था। ठंडा प्रदेश होने के कारण हम सब यहाँ जाने के लिए मान गए और वैसे भी गर्मी से राहत पाने के लिए इससे बेहतरीन स्थान कोई हो ही नहीं सकता था।

हम सब ने मिलकर जाने के लिए दिन निश्चित किया और यात्रा की तैयारियों में लग गए। हम लोगों ने शिमला 5 दिन रहने का निर्धारित किया। हम लोग निर्धारित दिन पूरी तैयारी से पहाड़ो की सैर करने के लिए शाम को जाने वाली बस में पूरे उत्साह के साथ बैठ गए। पहाड़ो में बना रास्ता हमें डरा रहा था और गहरी खाई डर को बढ़ा रही थी लेकिन पहाड़ो का शांत और सुंदर वातावरण मन को मोह रहा था। हम लोगों ने सफर में बहुत ही आनंद किया। हमने खूब खाया, गाने गाए, पहाड़ो की कहानियाँ सुनी और साथ ही शिमला के रास्ते में पड़ने वाले सभी मनोरम दृश्यों का आनंद लिया। हम रात के 9 बजे शिमला पहुँच गए जहाँ हमने गर्मी के मौसम में भी ठंडक को महसूस किया। यहां पहुंचते ही हमने लोगों को पहाड़ी वेशभूषा में देखा और शायद वो लोग अपने अपने काम से लौट रहे थे।

यहां पर घर बहुत ही आधुनिक तरीके से बने हुए थे जिनकी छतें टीन की बनी हुई थी जिससे कि बर्फ घर की छतों पर न जमे। शिमला में हमने विभिन्न प्रकार के सुंदर सुंदर फूलों से लदे वृक्ष देखे और यहाँ पर सीढ़ीदार खेती की जाती है। होटेल के कमरे बहुत ही शानदार और साफ सुथरे थे जहाँ हमने थोड़ी देर विश्राम किया और उसके बाद माल रोड की चकाचौंध देखने निकल पड़े। माना जाता है कि माल रोड पर रात के समय दौगुनी रौनक होती है। हम सबने बहुत मजे किए और विश्राम किया। यहां पर खाने के लिए सभी प्रकार के व्यंजन उपलब्ध थे लेकिन ठंडी ठंडी हवा में गर्म गर्म चाय पीने का अलग ही मजा था। अगले दिन सुबह तैयार होकर हम सब जाखू मंदिर जाने के लिए निकले जो कि हनुमान जी का बहुत ही प्राचीन मंदिर है और वहां पर हनुमान जी की सबसे ऊंची मूर्ति है।

मंदिर की चढ़ाई करते हुए रास्ते में बहुत से बंदर भी थे जो हाथ में दिखने वाली हर चीज को छिनने की कोशिश कर रहे थे। मंदिर पहुंचकर हमने हनुमान जी की मूर्ति के दर्शन किए और फिर नीचे वापिस आने लगे। नीचे उतरते समय हल्की हल्की बारिश होने लगी जिसने वहां के ठंडे मौसम को ओर अधिक ठंडा कर दिया। नीचे आकर हम रीज गए और वहाँ पर प्रार्थना कर मोमबती जलाई। उस दिन हमने शिमला के संग्रहालय देखे और वहां की संस्कृति के विषय में भी जाना।

अगले दिन हम तैयार होकर कुफरी के लिए निकले और रास्ते में हमने बर्फीली हवाओं का आनंद लिया और हम भूल गए थे कि हम जून की गर्मी में वहाँ आए हैं। हमने कुफरी पहुंच कर असली प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लिया। वहां की शीतल और स्वच्छ हवा मन को शांति प्रदान कर रही थी। हमने कुफरी में बहुत सी पर्वतीय क्रीड़ाए और स्किंग करी। हमारा वहाँ पर बहुत मन लग गया था। हमने हिमाचल की सुंदरता के बारे में जितना सुना था हिमाचल उससे भी कहीं ज्यादा सुंदर है हमने दो दिन कुफरी में ही व्यतीत किए और तीसरे दिन हम वापिसी घर के लिए निकल पड़े लेकिन इस बार पहाड़ो में बने रास्ते हमें डरा नहीं रहे थे अपितु हमारी यात्रा को ओर भी अधिक बेहतरीन बना रहे थे। रास्ते में हम सब बिताए गए पांच दिनों की ही बातें कर रहे थे।

वहां की हवा की शीतलता, शांत वातावरण, सुबह पक्षियों की चहचाहट और हिमालय की पहाड़ियों में उदय और अस्त होता सूर्य हम सब के मन मस्तिष्क में घर कर गया था। हम सब पांच दिन की यात्रा से थक चुके थे लेकिन सभी के दिल में सुकून था। हम लोगों ने वहां से बहुत सी सांस्कृतिक सामानों की खरीददारी भी करी थी जो कि देखने में बहुत ही सुंदर था। हम सब शाम को घर पहुंच गए लेकिन शिमला से आने के पश्चात जून की भयंकर गर्मी में कठिन हो रहा था। हम लोग शिमला को बहुत याद कर रहे थे। यह हमारी सबसे खुबसूरत यात्रा थी जिसकी यादें हमारे दिल में हमेशा जिंदा रहेगी और इन्हें भूलना हमारे लिए नामूमकिन होगा। मैनें शिमला में बिताए कुछ पलों को कैमरे में भी कैद किया था जिन्हें देखने पर मुझे आज भी सुख और आनंद का अनुभव होता है।

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