आपके द्वारा कंठस्थ किया गया कोई एक दोहा और उसका अर्थ स्पष्ट कीजिए
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रहिमन अति न कीजिए, गहि रहिए निज कानिसैंजन अति फूलै तऊ, डार पात की हानिकविवर रहीम कहते हैं कि कभी भी किसी कार्य और व्यवहार में अति न कीजिये। अपनी मर्यादा और सीमा में रहें। इधर उधर कूदने फांदने से कुछ नहीं मिलता बल्कि हानि की आशंका बलवती हो उठती है.
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