आपके विचार से भोलेनाथ अपने साथियों को देखकर सिसकना क्यों भूल जाते हैं?
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प्रस्तुत प्रश्न ‘शिवपूजन सहाय’ द्वारा लिखित कहानी ‘माता का आंचल’ से लिया गया है।
बच्चे कोमल और अस्थिर स्वभाव के होतें है। उनका मन साफ और निर्मल होता है।
बच्चों के मन-मस्तिष्क पर कोई घटना लंबे समय नही छायी रहती। पर भर में रूठना और रोना और फिर पल भर में मान जाना और हँसना-खेलना बच्चों का सहज स्वभाव होता है।
हम सब अपने बचपन में ऐसा ही किया होगा कि हम किसी बात पर रूठ जाते थे, रोने लगते और फिर कोई खिलौना आदि मिलने पर तुरंत अपना सारा रोना-धोना भूलकर खेलने में मगन हो जाते थे।
जब भोलेनाथ अपने साथी बच्चों को खेलता हुआ देखता था तो अपने बाल-सुलभ स्वभाव के कारण उसका मन भी अपने साथियों के साथ खेलने-कूदने का करने लगता था ऐसे में वो अपना सिसकना भूल जाता था और अन्य बच्चों के साथ हसीं-खुशी खेलने कूदने लगता था।
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