आपके विद्यालय में इस वर्ष 2 अक्टूबर को गांधी जयंती का समारोह मनाया गया और उसमें सफाई अभियान प्रारंभ किया गया वक्त कार्यक्रम का एक प्रतिवेदन तैयार कीजिए
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हर साल 02 अक्टूबर को भारत के हर कोने के साथ-साथ दुनिया के कई हिस्सों में भी महात्मा गांधी की जयंती मनाई जाती है। इस अवसर पर जगह-जगह रैली, पोस्टर प्रतियोगिता, स्पीच, डिबेट, नाटक समेत कई तरह के आयोजन किए जाते हैं।
इस साल हमारे राष्ट्रपिता की 151वीं जयंती है। अगर इस अवसर पर आपको स्पीच देनी है, तो यहां आपको कुछ आइडियाज बताए जा रहे हैं। इन्हें अपनाकर आप अपने दर्शकों, श्रोताओं से खूब तालियां व तारीफ बटोर सकते हैं।1906-07 में महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका से सत्याग्रह आंदोलन की शुरुआत की थी। यह आंदोलन दक्षिण अफ्रीका में भारतायों के लिए अनिवार्य पंजीकरण और पास के खिलाफ छेड़ा गया था।हमारे समाज में जिन समुदायों के लोगों को 'अछूत' कहा जाता था, उन्हें बापू ने 'हरिजन' नाम दिया। जिस शब्द का अर्थ है हरि (भगवान) की संतान। इस एक पहल ने इन समुदायों के लोगों को सम्मानजनक जीवन दिलाने की कोशिश में बड़ी भूमिका निभाई।
अहिंसा' - जब भी अहिंसा की बात आती है, तो सबसे पहले 'बापू' का नाम आता है। महात्मा गांधी ने न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया को अहिंसा के मायने समझाए। बताया कि अहिंसा एक व्यक्तिगत आदत है जिसका अर्थ है किसी भी परिस्थिति में खुद को या दूसरों को क्षति न पहुंचाई जाए।महात्मा गांधी ने 8 अगस्त 1942 को अंग्रेजों के खिलाफ 'भारत छोड़ो आंदोलन' (Quit India Movement) की शुरुआत की थी। तब दूसरा विश्वयुद्ध चल रहा था। इसी आंदोलन के दौरान बापू ने 'करो या मरो' (Do or Die) का नारा दिया था। विश्वयुद्ध खत्म होने तक ब्रिटिश सरकार ने कह दिया कि वह भारत को उसकी शक्तियां वापस करेगी।गांधी जयंती की सबसे खास बातों में से एक यह है कि इस दिन को पूरी दुनिया अहिंसा दिवस के रूप में मनाती है। 15 जून 2007 को यूनाइटेड नेशंस जेनरल असेंबली ने इस तारीख को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मानए जाने के लिए सर्वसहमति से वोट दिया था।
कहा गया था कि - गांधी जी ने दुनिया को सिखाया है कि शांति का मार्ग अपनाकर भी आजादी पाई जा सकती है। उनका मानना था कि हिंसा का रास्ता चुनकर हम कभी अपने अधिकार नहीं पा सकते। अहिंसा की राह पर चलकर ही राष्ट्रपिता ने दक्षिण अफ्रीका में करीब 75 हजार भारतीयों को उनके अधिकार दिलाए थे।