Hindi, asked by jyotihiremath37926, 2 months ago

आपनॆकब कब अभिमान भकया और कब कब उससॆभनकलकर आपकॊ मानभसक संतुभि भमली ? भलखिए I

Answers

Answered by ankitabareth200787
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Answer:

अस अभिमान जाइ जनि भोरे। मैं सेवक रघुपति पति मोरे॥

सुनि मुनि बचन राम मन भाए। बहुरि हरषि मुनिबर उर लाए॥11॥

भावार्थ

ऐसा अभिमान भूलकर भी न छूटे कि मैं सेवक हूँ और रघुनाथ मेरे स्वामी हैं। मुनि के वचन सुनकर राम मन में बहुत प्रसन्न हुए। तब उन्होंने हर्षित होकर श्रेष्ठ मुनि को हृदय से लगा लिया।॥11॥

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