आपने कबीर के दोहे पढ़े। इन दोहों में से आपको कौन-सा दोहा आज के संदर्भ में सर्वाधिक
3. प्रासंगिक लगा और क्यों?
(पाठ-2 देखिए
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HI ! mate here is your answer dear
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bhatiamona
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हमने कबीर दास जी के अनेक दोहे पड़े हैं, इनमें से जो दोहा मुझे आज के संदर्भ में भी प्रासंगिक लगा वो इस प्रकार है...
दोहा...
बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलिया कोय।
जो मन खोजा आपना, मुझसे बुरा ना होय।।
अर्थ — कबीर दास जी कहते हैं, मैं तो दूसरों में ही बुराइयां देखता रहा। मैंने अपने अंदर की बुराई को नहीं देखा। जब मैंने अपने मन में झांका तो मैंने पाया कि मुझसे बुरा तो इस संसार में कोई है ही नहीं। मैं ही बुरा हूं इसी कारण लोग मुझे बुरे दिखते हैं। जब मैं अपना मन साफ कर लूंगा तो फिर मुझे कोई भी बुरा नहीं दिखेगा।
मुझे यह दोहा आज के संदर्भ में प्रासंगिक इसलिए लगा क्योंकि आज हम जिधर देखते हैं, लोग एक दूसरे की बुराई करते रहते हैं अपनी कमियों को छुपा कर दूसरों की निंदा में लगे रहते हैं। मेरी राय में ये दोहा आज के समय के संदर्भ में ही नही हर समय के संदर्भ में प्रासंगिक रहेगा।