आपने रैदास का पद "जिह कुल साधू बैसनो होई' पढ़ा। विभिन्न धर्मों, जातियों वाले हमारे देश के लिए इम पद की प्रार्मोगकता स्पष्ट करें।
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हमारा देश ऐसे तो बहुत सारे हैं जाति वर्ग और समुदाय में बटा हुआ है हमारे देश में ऊंच-नीच का भेद है यहां अच्छी एकता नहीं है जिससे हमारा देश बाहरी तत्वों से प्रभावित होता है हमारे देश में अमीर और अमीर तथा गरीब और गरीब होते जा रहे हैं संत रैदास एक नीची जाति के व्यक्ति थे लेकिन फिर भी वह सदा ही भगवत भक्ति में लगे रहे जिससे उनके कुल तथा समाज का नाम हुआ संत रैदास का लिखा हुआ दोहा जी ही कुल साधु वैष्णव हुई इस वाक्य से पता चलता है कि कोई भी कोई कोई भी व्यक्ति जन्म से या अपनी जाति से ऊंचा या नीचा नहीं होता बल्कि उसके कर्म उसे उच्च नीच बनाते हैं इस वाक्य से पता चलता है कि जिस कुल में भगवत भक्त होते हैं वह कुल ऊंचा होता चाहे वह कोई भी हो। अगर यह बात हमारे देश का हर एक व्यक्ति समझ सके हमारा देश अखंड और सशक्त हो सकता है जिससे हमारे देश को जितना नामुमकिन हो जाएगा।