आपने ‘सीखो' कविता से क्या-क्या सीखा? उसे डायरी के रूप में लिखिए-
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सीखो कविता
सीखो कविता श्रीनाथ सिंह द्वारा लिखी गई है:
आपने ‘सीखो' कविता से सीखी हुई डायरी के रूप :
सीखो कविता के नाम से पता चल रहा है , इसे पढ़ कर बहुत कुछ सीखने को मिला है | मुझे इस कविता में बहुत अच्छा लिखा है हमें जीवन किसी को भी छोटा नहीं समझना चाहिए, यह कविता हमें सिखाती है की
छोटा सा छोटा प्राणी भी हमें बहुत सिखाता है हमें आगे बढ़ने की हिम्मत देता है |
जैसे , फूल हमें हंसना सिखाते है , भँवरे हमें गुनगुनाना सिखाता है | तरु की झुकी डालियाँ हमें झुकना सिखाती है | हमें जीवन में झुकना भी आना चाहिए| हवा हमें हिलना और दूसरों को सबक देना सिखाती है , दूध और पानी आपस में मिलना सिखाते है |
सूरज की किरणें हमें जगना सिखाती है , पेड़ों की लताएँ हमें आप में मिलना सिखाती है| वर्षा की बुंदे हमें आपस में प्रेम बढ़ाना सिखाती है, मेहँदी हमें अपना रंग सब पर चढ़ाना सिखाती है|
मछली के जीवन से हमें किसी लक्ष्य को प्राप्त करने की तड़प महसूस करवाती है. पतझड़ के पेड़ों से सीखो , दुःख ने हिम्मत रखना| पृथ्वी से सीखो प्राणी की सेवा करना , दिपक से हमें दूसरों के जीवन में दुखों को दूर करना| जलधार , नदियों से सीखो हमेशा आगे की और बढ़ना ,धुंए से सीखो हमेशा ऊपर चढ़ना |
यह कविता हमे बहुत सुखा सिखाती यदि हम इस कविता को ध्यान से समझे , जीवन में सब कोई नस संदेश दे कर जाता है |
Answer:
सीखो कविता
सीखो कविता श्रीनाथ सिंह द्वारा लिखी गई है:
आपने ‘सीखो' कविता से सीखी हुई डायरी के रूप :
सीखो कविता के नाम से पता चल रहा है , इसे पढ़ कर बहुत कुछ सीखने को मिला है | मुझे इस कविता में बहुत अच्छा लिखा है हमें जीवन किसी को भी छोटा नहीं समझना चाहिए, यह कविता हमें सिखाती है की
छोटा सा छोटा प्राणी भी हमें बहुत सिखाता है हमें आगे बढ़ने की हिम्मत देता है |
जैसे , फूल हमें हंसना सिखाते है , भँवरे हमें गुनगुनाना सिखाता है | तरु की झुकी डालियाँ हमें झुकना सिखाती है | हमें जीवन में झुकना भी आना चाहिए| हवा हमें हिलना और दूसरों को सबक देना सिखाती है , दूध और पानी आपस में मिलना सिखाते है |
सूरज की किरणें हमें जगना सिखाती है , पेड़ों की लताएँ हमें आप में मिलना सिखाती है| वर्षा की बुंदे हमें आपस में प्रेम बढ़ाना सिखाती है, मेहँदी हमें अपना रंग सब पर चढ़ाना सिखाती है|
मछली के जीवन से हमें किसी लक्ष्य को प्राप्त करने की तड़प महसूस करवाती है. पतझड़ के पेड़ों से सीखो , दुःख ने हिम्मत रखना| पृथ्वी से सीखो प्राणी की सेवा करना , दिपक से हमें दूसरों के जीवन में दुखों को दूर करना| जलधार , नदियों से सीखो हमेशा आगे की और बढ़ना ,धुंए से सीखो हमेशा ऊपर चढ़ना |
यह कविता हमे बहुत सुखा सिखाती यदि हम इस कविता को ध्यान से समझे , जीवन में सब कोई नस संदेश दे कर जाता है |