आपने देखा होगा कि अच्छी संगति मे पड़कर मनुष्य उन्नति करता है और बरी
संशति में पड़कर अपना जीवन बर्बाद कर लेता है। सत्संगति का महत्व बताते हुए
निबंध लिखिर
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मनुष्य जैसी संगति में रहेगा उसके उपर वैसा ही प्रभाव पड़ेगा ।इसीलिए मनुष्य की हमेशा बुरी संगति से दूर रहना चाहिए ।सत्संगती से मनुष्य के भीतर के बचे हुए दुर्गुण भी समाप्त हो जाता है ।जिसके द्वारा वह एक अच्छा इंसान बन जाता है ।सत्संगति मनुष्य के जीवन की एक नहीं दिशा प्रदान करती है तथा जीवन जीने के लिए बहुत सी महत्वपूर्ण बाते बताती है ।हम हमेशा अच्छे दोस्त के संगति में रहना चाहिए । बुरी दोस्त हम बुरा बना देते है जिसके कारण हमारी आगे की जिंदगी खतरे में रहती है ।
हमारे विचार व व्यवहार में हमारे साथ रह रहे लोगों की संगती का असर न्यूनाधिक मात्र में देखने को मिलता है। हमारे आस-पास का वातावरण जैसा होता है, वैसी ही स्थिति हम ढल जातें है।
हमारे चारों तरफ जिस मानसिकता के लोग रहते हैं तो हमारे विचारों पर उनका प्रभाव पड़ता है। जिस प्रकार अच्छे लोगों की संगती से अच्छे विचारों का आदान प्रदान होता है, उसी प्रकार बुरे विचारों वाले मनुष्य के साथ रहने से लोगों में केवल बुराईयों का ही जन्म होता है।
कुसंगति से हमेशा अपकीर्ति और हानि ही हाथ लगती है, परन्तु सत्संगति से सदैव मान सम्मान बढ़ता है। सत्संगति जो की सत् और संगती शब्द से मिलकर बना है, जिसका अर्थ होता है अच्छे लोगों की संगती। अच्छे लोगों को हर जगह आदर सम्मान मिलता है लेकिन बुरे लोगों से कोई बात भी करना पसंद नहीं करता है और ऐसे लोगों की बहुत आलोचना की जाती है।सत्संगति वह गुण है जिसके प्राप्त होने से किसी भी मनुष्य के जीवन की काया पलट हो सकती है। सत्संगति से सभी को केवल लाभ ही लाभ होतें है हानियाँ कुछ भी नहीं होती है। सत्संगति से जीवन में सदाचार की भावना आती है, तथा साथ ही साथ कर्मनिष्ठ तथा धर्म की भावना भी उत्पन्न होती है।
अच्छे लोगों की संगती करने से बुरे से बुरे व्यक्ति की आत्मा पवित्र हो जाती है और मन में परोपकार की भावना जागृत होती है, सत्संगति यह निश्चित करती है की लोग अपने जीवन में कितने सफल होंगे।
सत्संगति के लाभ
सत्संगति वह गुण है जिसके प्राप्त होने से किसी भी मनुष्य के जीवन की काया पलट हो सकती है। सत्संगति से सभी को केवल लाभ ही लाभ होतें है हानियाँ कुछ भी नहीं होती है। सत्संगति से जीवन में सदाचार की भावना आती है, तथा साथ ही साथ कर्मनिष्ठ तथा धर्म की भावना भी उत्पन्न होती है।
अच्छे लोगों की संगती करने से बुरे से बुरे व्यक्ति की आत्मा पवित्र हो जाती है और मन में परोपकार की भावना जागृत होती है, सत्संगति यह निश्चित करती है की लोग अपने जीवन में कितने सफल होंगे।
कोई भी इंसान चाहे कितना भी निर्धन क्यों न हो परन्तु अगर वह सत्संगति में रहता है तो उसे हमेशा सबसे आदर और सम्मान मिलेगा। लेकिन अगर कोई व्यक्ति कितना भी अमिर हो पर वह कुसंगति में रहता है तो उसकी इज्जत कोई भी नहीं करेगा और सदा उसकी आलोचना ही की जाएगी।
अच्छी संगती में रहने से मनुष्य नशापान जैसी बुरी चीजों के सेवन से बच जाता है और अपना स्वस्थ ख़राब होने से बचा लेता है। कुसंगति के कारण मानव में चोरी, लूटमार, हत्या, नशा सेवन आदि भ्रष्ट आदतें आती है लेकिन सत्संगति के कारण ऐसे कोई भी दुर्गुण शेष नहीं रहते हैं।