Hindi, asked by gkfgt8i, 5 hours ago

आपने वसंत पुस्तक की कविता हम पछी उन्मुक्त गगन के में पढ़ा कि पक्षियों को पिंजरे में बंद रहना अच्छा नहीं लगता चाहे उन्हें वहाँ सब सुख सुविधाएँ दे दी जाए। ठीक उसी तरह आप सब को भी आजकल इस वर्तमान स्थिति के कारण घर पर ही रहना पड़ रहा है। इसी संबंध में अपनी बहन के साथ हुई बातचीत को संवाद के रूप में लिखिए।​

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Answered by xxmisstimepassX
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Answer:

म पंछी उन्मुक्त गगन के पिंजरबद्ध न गा पाएँगे, कनक-तीलियों से टकराकर पुलकित पंख टूट जाएँगे। हम बहता जल पीनेवाले मर जाएँगे भूखे-प्यासे, कहीं भली है कटुक निबौरी कनक-कटोरी की मैदा से। स्वर्ण-शृंखला के बंधन में अपनी गति, उड़ान सब भूले, बस सपनों में देख रहे हैं तरु की फुनगी पर के झूले।

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