Aapane bachpan ki koi manmohak ghatna
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मैं बचपन में बहुत शैतान था। घर में सबको परेशान करता था। एक दिन मैंने सबको परेशान करने के लिए एक उपाय सोचा। मैं छिप गया। घर में अफरा-तफरी मच गई। घर में सभी रोने लगे। माँ तो बेहोश हो गई। यह सब सुनकर मैं बहुत परेशान और दुखी हुआ। उसी समय मैं अलमारी से निकल आया। सबकी जान में जान आई। मैंने अपनी गलती के लिए माफी माँगी और फिर कभी ऐसा न करने की शपथ ली।
बात अगर हम बचपन की करें तो, बचपन सब का शरारती होता है | सब के पास अपने बचपन की यादें होती है |
मैं अपने बचपन की बात करूं तो मैं बहुत शरारती थी | सबसे लड़ना और मारना तंग करना | एक बार मैंने स्कूल में अपने साथ वाले लड़की का पूरा खाना खा लिया और उसे बताया भी नहीं , जब उसे पता चला वह बहुत रोई और उसने मैडम से शिकायत लगा दी | मैडम से स्कूल में बहुत मार पड़ी | यह बात घर तक पहुंच गई | घर पर आकर भी मार पड़ी | जब धीरे-धीरे बड़े समझ आने लगा | शरारतें में बचपन अच्छी लगती है|