आपत्काले तु सम्प्राप्ते यन्मित्रं मित्रमेव तत्।
वृद्धिकाले तु सम्प्राप्ते दुर्जनोऽपि सुहृद् भवेत्।।
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आपत्काले तु सम्प्राप्ते यन्मित्रं मित्रमेव तत् ।
वृद्धिकाले तु सम्प्राप्ते दुर्जनोऽपि सुह्रद्भवेत्।।
मनुष्य के विपत्ति के समय जो मित्र उसकी मदद करे ,वही उसका सच्चा मित्र होता है ।अच्छे समय में तो दुर्जन मनुष्य भी अच्छे मित्र बन जाते है ।सच्चे मित्र की पहचान तो विपत्ति के समय में होती है
mihirsharma55:
hello uncle aapko mera jawab acha laga
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hehe Pehle he answer de rakha hai
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