Social Sciences, asked by ramchander7310, 1 month ago

आपदा का जोखिम कम करना short answer​

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Answered by ak5559958
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I hope this is very useful answer

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Answered by santosh1989sah
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प्राकृतिक आपदाओं जैसी आपातकालीन स्थितियों के दौरान बच्चों की दशा बहुत संवेदनशील होती है। भारत, विश्व के सर्वाधिक आपदा-संभावित देशों में से एक है और यहां प्रतिवर्ष बाढ़, भूस्खलन, सूखा और तूफान आने की आशंका रहती है। भारत में बार-बार और अत्यधिकप्राकृतिक आपदाओं और मौसम में बदलावों के कारणबड़ी संख्या में बच्चों पर इसका असर होता है।

पर्यावरण के स्तरों में गिरावट, मौसम में बदलाव और अनियोजित विकास में वृद्धि के कारण, आपदाओं की घटनाएं बढ़ी हैं। इतनी बड़ी जनसंख्या वाले देश में इसका गंभीर प्रभाव पड़ता है, जहां लोगों की संख्या अत्याधिक है,वह कृषि पर निर्भर करते हैं तथा जोखिम की हालत में रहते हैं।

जब भारत में कोई आपदा आती है तो भारत सरकार और राज्य सरकारें आपात प्रतिक्रिया की स्थिति में आ जाती हैं। सरकार के आमंत्रण पर यूनिसेफ द्वारा अक्सर संयुक्त राष्ट्र संघ की एजेंसियों तथा भागीदारों के साथ समन्वय करके तकनीकी सहायता उपलब्ध कराई जाती है और प्रभावित क्षेत्रों में चल रहे कार्यों पर ध्यान केन्द्रित किया जाता है।

किसी प्राकृतिक आपदा अथवा संकट के बाद यूनिसेफ की पहली प्राथमिकता सदैव यह होती है कि प्रभावितों को तत्काल मदद दी जाए, किन्तु हम दीर्घकालिक पूर्णबहाली की योजना भी तैयार करते हैं। प्रभावित देशों को पुनः प्रगति के पथ पर वापस लाने के लिए शिक्षा प्रदान करना पहला कदम होता है। यह ऐसा कदम होता है जिससे सबसे ज्यादा प्रभावित लोगों की पुनर्बहाली के लिए मदद होती है। शिक्षा स्वयं में एक अंत नहीं है, यह किए जा रहे हल का एक हिस्सा होता है।

शिक्षण संस्थान समाज के ज्ञान, मूल्यों और परंपराओं का एक संग्रहालय होते हैं, जो लोगों को एक साथ लाते हैं, क्योंकि वे अपने देश का भविष्य सुधारने के लिए काम करते हैं। आपदाएँ, आपात स्थितियाँ और हिंसा बच्चों पर गहरा असर छोड़ती हैं। शिक्षा में यह क्षमता है कि इससे जरूरतमंदों को ज्ञान और कौशल दिया जा सकता है ताकि वे शांति और अहिंसा की संस्कृति, वैश्विक नागरिकता और सांस्कृतिक विविधता का मूल्यांकन कर सकें और सतत् विकास के लिए सांस्कृतिक योगदान दे सकें।

भारत में छोटे बच्चों की देखभाल, सुरक्षा और मानसिक एवं सामाजिक सहायता के लिए यूनिसेफ द्वारा निर्धारित प्रणाली की हिमायत की जाती है तथा विशेषकर उन युवाओं के लिए अपेक्षित गुणवत्तापरक शिक्षा के प्रावधान किए जाते हैं, जो स्कूल छोड़ चुके हैं और संघर्ष तथा युद्ध की परिस्थितियों में आ गए हैं। हम अपने फील्ड कार्यालयों के माध्यम से राज्य सरकारों को समर्थन देते हैं ताकि आपात स्थितियों के दौरान तथा उनके बाद भी शिक्षा प्रदान की जाती रहे।

हम सार्क (SAARC) के कम्प्रेहेंसिव स्कूल सेफ्टी फ्रेमवर्क को बढ़ावा देते हैं और हम पूरे भारत में प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाने के लिए कम्प्रेहेंसिव स्कूल सेफ्टी का समर्थन करते हैं।

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