आपदा प्रबंधन का विश्लेषण एवं ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
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विषयवस्तु एवं प्रस्तावना : ऐतिहासिक और वैज्ञानिक दृष्टि से मनुष्य एक विवेकशील, सुदृढ़ और स्वस्थ्य मानसिकता का प्राणी है, यद्यपि वह चतुष्पादीयों से पृथक है जागृत विवेक का स्वामी हे, तथापि उसका जीवन पूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं है। अर्थात् कहीं न कहीं उसका स्वयं का विवेक प्राकृतिक एवं दैवीय आपदाओं के आगे सदैव ही असहाय होता जाता है। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि यह भी बताती है कि केवल प्राकृतिक एवं दैवीय घटनाएं ही उसके जीवन को नकारात्मक रूप से प्रभावित नहीं करती हैं अपितु मानवीय एवं विकासशील विचाराधारा, अवधारणाओं पर विवेक को प्रभावी बनाना कुछ ऐसे मानसिक और मनोवैज्ञानिक उहा-पोह है जो मानवीय आपदाओं का ही कारण बनते हैं। आपदा प्रबंधन के भीतर हम विशुद्ध रूप से प्राकृतिक और मानवीय घटानाओं का उनके कारणों का उनकी उत्पत्ति के पीछे मानेवैज्ञानिक और वैज्ञानिक अवधारणाओं का तथा उनके संपूर्ण कारणों और निवारण का अध्ययन करते हैं। अत: यह विषयवस्तु न केवल प्रबंधन से संबंधित है अपितु प्राकृतिक और मानवीय घटनाओं के विश्लषण से ही परभूत है। ‘प्रबंधन’ संज्ञा देना वस्तुत: आपदाओं के उपरांत अव्यवस्थता को व्यवस्थित करने व उनके निराकरण से संबंधित है।
आपातकालीन प्रबंधन एक अंतःविषयक क्षेत्र का सामान्य नाम है जो किसी संगठन की महत्वपूर्ण आस्तियों की आपदा या विपत्ति उत्पन्न करने वाले खतरनाक जोखिमों से रक्षा करने और सुनियोजित जीवनकाल में उनकी निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए प्रयुक्त सामरिक संगठनात्मक प्रबंधन प्रक्रियाओं से संबंधित है।[1] आस्तियां सजीव, निर्जीव, सांस्कृतिक या आर्थिक के रूप में वर्गीकृत हैं। खतरों को प्राकृतिक या मानव-निर्मित कारणों के द्वारा वर्गीकृत किया जाता है। प्रक्रियाओं की पहचान के उद्देश्य से संपूर्ण सामरिक प्रबंधन की प्रक्रिया को चार क्षेत्रों में बांटा गया है। ये चार क्षेत्र सामान्य रूप से जोखिम न्यूनीकरण, खतरे का सामना करने के लिए संसाधनों को तैयार करने, खतरे की वजह से हुए वास्तविक नुकसान का उत्तर देने और आगे के नुकसान को सीमित करने (जैसे आपातकालीन निकासी, संगरोध, जन परिशोधन आदि) और यथासंभव खतरे की घटना से यथापू्र्व स्थिति में लौटने से संबंधित हैं। क्षेत्र सार्वजनिक और निजी दोनों में होता है, प्रक्रिया एक सी सांझी होती है लेकिन ध्यान केंद्र विभिन्न होते हैं। आपातकालीन प्रबंधन प्रक्रिया एक नीतिगत प्रक्रिया न होकर एक रणनीतिक प्रक्रिया है अतः यह आमतौर पर संगठन में कार्यकारी स्तर तक ही सीमित रहती है। सामान्य रूप से इसकी कोई प्रत्यक्ष शक्ति नहीं है लेकिन यह सुनिश्चित करने के लिए कि एक संगठन के सभी भाग एक सांझे लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करें, यह सलाहकार के रूप में या कार्यों के समन्वय के लिए कार्य करता है। प्रभावी आपात प्रबंधन संगठन के सभी स्तरों पर आपातकालीन योजनाओं के संपूर्ण एकीकरण और इस समझ पर निर्भर करता है कि संगठन के निम्नतम स्तर आपात स्थिति के प्रबंधन और ऊपरी स्तर से अतिरिक्त संसाधन और सहायता प्राप्त करने के लिए जिम्मेदार हैं।