Aapka mitar anil bimari ke karn prisha nhi de paya jiske karn bh nirash h uska honsla bdane ke lie patar liko anoopaharik patar
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Answer:
इंदिरा नगर,
माउंट एलिजाबेथ
21, नांदेड (महाराष्ट्र)
दिनांक 20/01/20
प्रिय मित्र अनिल
स्नेहिल मधुर प्यार
तुम्हारा पत्र मिला | यह जानकर मुझे भी अच्छा नहीं लगा कि तुम अस्वस्थता के कारण इस वर्ष परीक्षा नहीं दे पाए | मित्र, किन्तु इससे निराश होने की आवश्यकता नहीं है | मुझे पूज्य पिताजी हमेशा कहते हैं कि हमारे साथ जो भी घटना होती है उसमें हमें कुछ तो सकारात्मक ढूंढ लेना चाहिए |
वस्तुतः ये सच भी है इससे हमारी निराशा दूर हो जाती है और हम जीवन पथ पर दुगुने उत्साह के साथ आगे बढ़ने लगते है | अनिल! मित्र तुम भी यह सोचो कि जो कुछ तुमने अपनी इस परीक्षा के लिए पढ़ा था उसे दोहरा सकोगे | फलस्वरूप इस दर्जे के विषय तुम्हारे मस्तिष्क में अच्छे से पैठ जाएंगे | इससे तुम्हें इस वर्ष की परीक्षा में लाभ तो होगा ही साथ ही अगले दर्जे के विषयों को पढने में आसानी रहेगी |
आशा करता हूँ कि तुम मेरी बातों को मानकर फिर से मेरे वही ख़ुशमिजाज जोशीले मित्र बनकर उभरोगे |तुम्हें शेर -शायरी पसंद हैं अस्तु तुम्हारे लिए निदा फ़ाजली साहब का ये शेर पेश करता हूँ "धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो
ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो "
पूज्य माताजी - पिताजी से मेरा चरण -स्पर्श कहना | प्यारी गुडिया को मेरा ढेर सारा स्नेह देना |
तुम्हारा अभिन्न मित्र
रोहन