आरुणे: पुन : श्वेतकेतुः अस्ति ?
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- माँ ने कहा पानी में झाँककरअपने चेहरे पर मत रीझना आग रोटियाँ सेंकने के लिए है जलने के लिए नहीं वस्त्र और आभूषण शाब्दिक भ्रमों की तरह बंधन हैं स्त्री जीवन के माँ ने कहा लड़की होना पर लड़की जैसी दिखाई मत देना।
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