आर्तव चक्र का सविस्तार विवरण दीजिए।
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harshalpatil2002
Secondary School Biology 5+3 pts
ख) आर्तव चक्र क्या है?
Report by Sagarpanwar5722 04.06.2019
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kapilchaudhary2
Kapilchaudhary2Genius
Answer:
\bold{Hiii . frd }
<b>
❇{\mathbb{CORRECT}}
\huge\boxed{\texttt{\fcolorbox{aqua}{grey}{Answer}}}
⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐⭐
✔आर्तव चक्र मादा प्राइमेटों (यानी बंदर, कपि एवं मनुष्य आदि) में होने वाले जनन चक्र को आर्तव चक्र (मेन्सट्रअल साइकिल) या सामान्य जनों की भाषा में मासिक ध्र्म या माहवारी कहते हैं। प्रथम ऋतुस्राव/रजोध्र्म (मेन्सट्रएशन) की शुरूआत यौवनारंभ पर शुरू होती है, जिसे रजोदर्शन (मेनार्वेफ) कहते हैं। स्त्रिायों में यह आर्तव चक्र प्रायः 28/29 दिनों की अवधि के बाद दोहराया जाता है, इसीलिए एक रजोधर्म से दूसरे रजोध्र्म के बीच घटना चक्र को आर्तव चक्र (मेन्सट्रअल साइकिल) कहा जाता है। प्रत्येक आर्तव चक्र के मध्य में एक अंडाणु उत्सर्जित किया जाता है या अंडोत्सर्ग होता है। आर्तव चक्र की प्रमुख घटनाओं को चित्रा 3.9 में दर्शाया गया है। आर्तव चक्र की शुरूआत आर्तव प्रावस्था से होती है जबकि रक्तस्राव होने लगता है। यह रक्तस्राव 3-5 दिनों तक जारी रहता है। गर्भाशय से इस रक्तस्राव का कारण गर्भाशय की अंतःस्तर परत और उसकी रक्त वाहिनियों के नष्ट होना है जो एक तरल का रूप धारण करता है और योनि से बाहर निकलता है। रजोधर्म तभी आता है जब मोचित अंडाणु निषेचित नहीं हुआ हो। रजोध्र्म की अनुपस्थिति गर्भ धरण का संकेत है। यद्यपि इसके अन्य कारण जैसेकृ तनाव, निर्बल स्वास्थ्य आदि भी हो सकते हैं। आर्तव प्रावस्था के बाद पुटकीय प्रावस्था आती है। इस प्रावस्था के दौरान गर्भाशय के भीतर के प्राथमिक पुटक में वृध्दि होती है और यह एक पूर्ण ग्रापफी पुटक बन जाता है तथा इसके साथ-साथ गर्भाशय में प्रचुरोद्भवन (प्रोलिपफरेशन) के द्वारा गर्भाशय अंतःस्तर पुनः पैदा हो जाता है।
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